सदर अस्पताल में नहीं है मुकम्मल व्यवस्था
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दिमागी बुखार से अररिया के दो बच्चों की गयी जान
सदर अस्पताल में नहीं है मुकम्मल व्यवस्था पूर्णिया : सीमांचल के इलाके में दिमागी बुखार ने दस्तक दे दिया है. सदर अस्पताल में दिमागी बुखार के आधा दर्जन संदिग्ध मरीज इलाजरत हैं, जबकि इससे अररिया के दो बच्चों की मौत हो गयी. सदर अस्पताल में इस रोग के उपचार की कोई मुकम्मल व्यवस्था नजर नहीं […]
पूर्णिया : सीमांचल के इलाके में दिमागी बुखार ने दस्तक दे दिया है. सदर अस्पताल में दिमागी बुखार के आधा दर्जन संदिग्ध मरीज इलाजरत हैं, जबकि इससे अररिया के दो बच्चों की मौत हो गयी. सदर अस्पताल में इस रोग के उपचार की कोई मुकम्मल व्यवस्था नजर नहीं आती है. इस संक्रामक रोग के बच्चों को बच्चा वार्ड में ही रख कर इलाज किया जा रहा है. जिससे अन्य बच्चों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ गयी है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन दिमागी बुखार को खारिज करते हुए इसे वायरल फीवर बतला रहा है. वहीं दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि अब तक आधे दर्जन बच्चों की मौत हो चुकी है. जिसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
सदर अस्पताल में अब तक दिमागी बुखार का मरीज सामने नहीं आया है. जो मरीज सामने आया है, वह वायरल फीवर से पीड़ित है. इस रोग की चिकित्सा की यहां पूरी व्यवस्था है.
डॉ वीर कुंवर सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ
पूर्णिया : अस्पताल प्रबंधन ने बताया वायरल फीवर
अब तक आधा दर्जन बच्चों की मौत की चर्चा
पूर्णिया के छह लोग आक्रांत
दिमागी बुखार से अररिया जिले के दो बच्चे की मौत हो चुकी है. इसमें अररिया जिले के सिमराही फूलबाड़ी गांव के शेख सरबर के पुत्र मो कैफ व कुसियार गांव निवासी लक्ष्मण ऋषिदेव की पुत्री कौशल्या कुमारी शामिल है. जबकि पूर्णिया जिला के मो शाहबाज, मुकेश किशोर, डॉली कुमारी, अमन कुमार, अबू सुफियान, मो इरफान इससे आक्रांत बताये जा रहे हैं. इस समय सदर अस्पताल में एक बच्चे का इलाज चल रहा है. आम लोगों के बीच छह लोगों के मरने चर्चा है.लेकिन अस्पताल में इस प्रकार का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. अस्पताल उपाधीक्षक डॉ सुशीला दास एक मरीज के मरने की पुष्टि कर रही है.
क्या है दिमागी बुखार
दिमागी बुखार को मेनिनजाइटिस कहा जाता है. यह आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, और कुछ जीवों के संक्रमण के कारण होता है. यह एक तरह का इंफेक्शन होता है जो मष्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की रक्षा करनेवाले मेंब्रेन में सूजन पैदा कर देता है. अधिकांश मामलों में इसका कारण वायरस होता है. हालांकि, दिमागी बुखार के कुछ गैर-संक्रामक कारण भी होते हैं. इसमें बच्चों के शरीर पर चकत्ता दिखाई देता है. वहीं उलटी और जी मितलाने के साथ-साथ गंभीर सिर दर्द भी होता है. त्वचा पीली अथवा नीली हो जाती है.
डीडीसी व एसडीओ ने की जांच
बच्चों की मौत के मामले में जिलािधकारी पंकज कुमार पाल के निर्देश पर डीडीसी रामशंकर व सदर अनुमंडल पदािधकारी रवींद्र नाथ प्रसाद िसंह सदर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने बालक की मौत के मामले की जांच की. जांच के उपरांत डीडीसी ने बताया िक गुरुवार की सुबह सदर अस्पताल में एक बच्चे की मौत हुइ है. छह बच्चे की मौत की बात बेबुनियाद है. जांच िरपोर्ट डीएम को सौंप दी जायेगी.
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