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मनेगी दिवाली, बरसेंगी खुिशयां

दीपोत्सव. अमृत प्रकाश से जगमगाएंगे धरती-गगन, दीपों से सजेगा घर-आंगन असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक पर्व दीपावली आज पूरे िवधि-विधान के साथ मनाया जायेगा. इसको लेकर लोगों ने तैयारी पूरी कर ली है. िकसी ने लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा खरीदी है, तो कोई रंगोली बनायेगा. पूर्णिया : अंधकार पर प्रकाश और अन्याय पर न्याय […]

दीपोत्सव. अमृत प्रकाश से जगमगाएंगे धरती-गगन, दीपों से सजेगा घर-आंगन

असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक पर्व दीपावली आज पूरे िवधि-विधान के साथ मनाया जायेगा. इसको लेकर लोगों ने तैयारी पूरी कर ली है. िकसी ने लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा खरीदी है, तो कोई रंगोली बनायेगा.
पूर्णिया : अंधकार पर प्रकाश और अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक पर्व दीपावली जिले में आज मनाया जायेगा. आज अमृत प्रकाश से धरती और गगन दोनों रोशन होगा. दीपावली को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. घरों के रंग-रोगन के बाद रंगीन बल्बों की लड़ी से रोशन करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. शहर, बाजार व गली-मुहल्लों में घरों पर सजी रंगीन बल्बों की लड़ी से निकली रोशनी प्रकाशोत्सव को परवान चढ़ाने लगा है. शनिवार की शाम भी शहरवासियों ने छोटी दिवाली मनायी, गगनदीप जलाये और पटाखे भी फूटे. अधिकांश घरों में गगनदीप आज जलाये जायेंगे. घर लक्ष्मी आयेगी और दरिद्रता दूर होगी.
मिट्टी के दीप जलाने का है विशेष महत्व : दीपावली के पर्व पर मिट्टी के दीप का दीया जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सनातन धर्म के धर्मशास्त्र में मिट्टी के दीप का विशेष महत्व बताया गया है. कहा गया है कि दीपावली के दिन मिट्टी के दीप के प्रज्जवलन और विधि अनुसार लक्ष्मी गणेश की पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है और गणेश विचरण करते हैं. लिहाजा घरों के रंग रोगन सफाई के बाद मिट्टी का दीप जला कर लक्ष्मी गणेश का आह्वान किया जाता है.
भव्य रंगोली बनाने की है परंपरा : दीपोत्सव और खुशियों के इस त्योहार पर रंगोली बनाने की परंपरा पौराणिक है. हालांकि आज भी यह परंपरा है. लेकिन इसका स्वरूप मॉडर्न हो चुका है. दीपावली के दिन घर के दलान व आंगन तथा देव गृह में रंगोली बना कर इसके मध्य और चारों तरफ मिट्टी के दीप जलाने की परंपरा है. कई रंगों से बनी रंगोली के निर्माण में महिलाएं व युवतियां विशेष योगदान देती हैं. ऐसा माना जाता है कि रंगोली से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है. रंगोली में विशेष तौर पर अरवा चावल,
धान, कुमकुम, हल्दी व अबीर का प्रयोग होता है.
बाजार में रही खरीदारों की भीड़ : शनिवार को त्योहार की तैयारियों को लेकर बाजारों में खूब भीड़ उमड़ी. लोगों ने लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, पूजन सामग्री, फूल माला, दीप और मिठाइयों की जम कर खरीदारी की. बाजारों में खरीदारी करने पहुंचे लोगों ने देर रात तक पसंदीदा पटाखा, फूल दीप, मिठाई व ड्राइफ्रूट की खरीदारी की. शनिवार को जैसे ही दिन ढला रंगीन बल्बों की रोशनी से हर तरफ छटा रंगीन हो गयी थी. सायंकाल लोगों ने छोटी दीपावली मनाया और जम कर आतिशबाजी भी किया.
गगनदीप जलाने व उख फेरने की है परंपरा
दीपावली के मौके पर मिथिलांचल के इलाके में गगनदीप जलाने की भी परंपरा है. कहा जाता है कि गगनदीप समृद्धि का प्रतीक है. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम जब अयोध्या लौटे थे तब गगनदीप जलाये गये थे. इसका उद्देश्य यह था कि अयोध्या के आसपास के गांवों तक यह संदेश पहुंचे और उन्हें भी इस खुशी में शरीक किया जाये. गगनदीप जलाने की परंपरा कुछ वर्षों पहले तक गांवों में स्टेटस सिंबल बना हुआ था लेकिन बदलते समय के साथ अब यह परंपरा विलुप्त होने लगी है. इसके अलावा मौके पर उख फेरने की भी परंपरा है. यह उख कपास के सूखे डांट व कच्ची रस्सियां सहित खर से बनी होती है.
मौके पर परिवार के सभी सदस्य संध्या काल में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं. इसके बाद घर के पुरुष सदस्य उख फेरते हैं. इस दौरान घर के वरिष्ठ सदस्य घर के सभी कोनों का भ्रमण करते हैं और दूब-धान छीटते हैं. इस दौरान अन्न धन-लक्ष्मी घर, दरिद्र बाहर का मंत्रोच्चारण किया जाता है.
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते लोग.
खास बातें
दीपावली के दौरान अक्सर हाथ व चेहरा झुलसे का रहता है डर
सदर अस्पताल में आने वाले 70 फीसदी जलने वाले मरीजों में हाथ व चेहरे जले मरीज ही होते हैं
अनार व बम न जलायें, खुद भी रहेंगे सुरक्षित, वातावरण भी प्रदूषित नहीं होगा.
पर्व मनायें, पर सावधानी भी बरतें
नायलॉन के कपड़े न पहनें
पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता हैं
पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें
रॉकेट जैसे पटाखे ऊपर से खुले स्थान पर ही जलायें
पटाखों के साथ रॉकेट का प्रयोग न करें
पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते-चप्पल जरूर पहनें
सड़क पर पटाखे जलाने से बचें
प्रदूषण हो सकता है खतरनाक
बम व अनार सेहत के लिए खतरनाक
डॉक्टरों के अनुसार आतिशबाजी के समय अक्सर हाथ एवं चेहरा झुलसने का खतरा रहता है. सदर अस्पताल में आतिशबाजी से जलने वाले मरीजों में 70 प्रतिशत मरीजों के हाथ एवं चेहरे जलने के मरीज ही आते हैं. इन मरीजों में अधिकांश मरीज अनार एवं बम से जलते हैं. घर में इन घातक आतिशबाजी से परहेज करें.
अन्यथा विशेष चौकसी के साथ ही इन आतिशों को जलायें. वायु को प्रदूषित करने में भी अनार एवं बम का बड़ा योगदान होता है. ये दोनो पटाखे सर्वाधिक धुआं फैलाते हैं.

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