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28000 की आबादी पर एक डॉक्टर

समस्या. आम आदमी के लिए मुकम्मल चिकित्सा व्यवस्था दिवास्वप्न जिले के आम लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा की राह आसान नहीं है. कहना बेहतर होगा कि आम आदमी के लिए मुकम्मल चिकित्सा व्यवस्था दिवा स्वप्न बन गयी है. पूर्णिया : विभागीय आंकड़े ही इस बात की ताकीद कर रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों के […]

समस्या. आम आदमी के लिए मुकम्मल चिकित्सा व्यवस्था दिवास्वप्न

जिले के आम लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा की राह आसान नहीं है. कहना बेहतर होगा कि आम आदमी के लिए मुकम्मल चिकित्सा व्यवस्था दिवा स्वप्न बन गयी है.
पूर्णिया : विभागीय आंकड़े ही इस बात की ताकीद कर रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों के मामले में दिवालिया है. डॉक्टरों के मामले में यह हाल है तो पारा कर्मियों की बात ही करना बेमानी है. चौंकाने वाली बात यह है कि जिले में 28000 हजार की आबादी पर महज एक डॉक्टर उपलब्ध हैं. जिले की कुल आबादी 37.53 लाख है, जबकि जिले में सिर्फ 134 डॉक्टर ही उपलब्ध है. इनमें 106 एमबीबीएस व बीडीएस, 28 आयुष डॉक्टर शामिल हैं. इनमें से 29 डॉक्टरों की तैनाती सदर अस्पताल में है. अहम सवाल यह है कि क्या इतने कम डॉक्टरों के बुनियाद पर क्या सबको स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करायी जा सकती है.
सवाल से सभी परिचित हैं, वस्तुस्थिति से हर कोई अवगत है, लेकिन सवाल का जवाब कोई नहीं देना चाहता है. इस प्रकार जिले की 37 लाख आबादी डॉक्टर से अधिक ईश्वर के रहमो-करम पर दिन बिता रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा बदहाल : चिकित्सकों की कमी का सबसे अधिक खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के वासियों को भुगतना पड़ता है. चिकित्सक के मामले में सदर अस्पताल की स्थिति तो थोड़ी बेहतर भी है, लेकिन पीएचसी और एपीएचसी का हाल बेहाल है. पीएचसी के अलावा एपीएचसी और उप स्वास्थ्य केंद्र पर तो आयुष चिकित्सकों के भरोसे ही मरीजों का इलाज होता है. स्याह सच यह है कि चिकित्सकों के अभाव में सभी पीएचसी रेफर सेंटर बन कर रह गया है. गंभीर मरीजों को तत्काल ही सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है, क्योंकि पीएचसी में डॉक्टरों का टोटा है.
पीएचसी में डॉक्टर
प्रखंड आबादी डॉक्टर
श्रीनगर 117000 05
डगरुआ 247000 04
बी कोठी 240000 04
के नगर 252000 04
बायसी 243000 06
भवानीपुर 182000 07
जलालगढ़ 124000 03
कसबा 218000 05
पूर्णिया पूर्व 256000 08
रुपौली 270000 05
बैसा 214000 03
अमौर 318000 04
बनमनखी 413000 08
धमदाहा 335000 05
कुल 3753000 76
चिकित्सकों की कमी एक बड़ी समस्या निजी प्रैक्टिस में अधिक रुचि
आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि एक डॉक्टर के कंधे पर लगभग 28000 से अधिक लोगों को स्वस्थ रखने की जिम्मेवारी है. इस जिले की मुख्य समस्याओं में कुपोषण,मातृत्व मृत्यु,नवजात मृत्यु,बाल मृत्यु सहित कई आम रोग शामिल हैं. ऐसे में सीमित डॉक्टरों के बूते इतनी बड़ी आबादी को स्वास्थ्य लाभ की गारंटी दे पाना कतई संभव नहीं है. इसका खामियाजा भी गाहे-बगाहे चिकित्सकों को भुगतना पड़ता है. बावजूद यदि स्वास्थ्य विभाग सबको स्वास्थ्य लाभ देने का दंभ भर रहा है तो खुद को झूठी तसल्ली देने के समान है.
चिकित्सकों की कमी की वजह स्वास्थ्य विभाग की नीतियां मानी जाती है. मेडिकल की शिक्षा लेने के बाद तैयार चिकित्सक सरकारी सेवा की बजाय स्वयं की प्रैक्टिस को अधिक तरजीह देते हैं. कई उदाहरण हैं कि विभाग द्वारा साक्षात्कार आयोजित की जाती है. लेकिन बहाल होने में चिकित्सक दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. डॉक्टरों का मानना है
कि डॉक्टरी शिक्षा में लागत एवं समय के अनुरुप मानदेय की व्यवस्था नहीं है.जो सरकारी सेवा को नीरस बनाती है. इसलिए निजी प्रैक्टिस की ओर चिकित्सक आकर्षित होते हैं. वहीं कई चिकित्सक शुरूआती दौर में सरकारी सेवा में आ तो जाते हैं, जब ऐसे डॉक्टरों की गाड़ी चल निकलती है तो अपना निजी नर्सिंग होम एवं क्लीनिक का संचालन करने लगते हैं. इसके कई उदाहरण भी हैं. वहीं कई ऐसे चिकित्सक हैं, जो सरकारी सेवा का उपयोग अपनी पहचान स्थापित करने में करते हैं. ऐसे चिकित्सक अस्पताल में सेवा देने की बजाय निजी प्रैक्टिस में अधिक समय व्यतीत करते हैं.

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