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कानून नहीं चलता, चलती है मनमर्जी

अवहेलना. पंजीयन देने में मनमानी, आरटीइ एक्ट का हो रहा उल्लंघन स्कूलों को नामांकन में 25 फीसदी पड़ोस के कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन करना और उन्हें मुफ्त िशक्षा देना है, पर ऐसा हो नहीं रहा. पूर्णिया : निजी स्कूलों के मानक और पंजीयन मामले में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है. सूत्र […]

अवहेलना. पंजीयन देने में मनमानी, आरटीइ एक्ट का हो रहा उल्लंघन

स्कूलों को नामांकन में 25 फीसदी पड़ोस के कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन करना और उन्हें मुफ्त िशक्षा देना है, पर ऐसा हो नहीं रहा.
पूर्णिया : निजी स्कूलों के मानक और पंजीयन मामले में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है. सूत्र बताते हैं कि जिला शिक्षा विभाग में पंजीयन का कोई कानून नहीं चलता है, केवल मनमर्जी चलती है. हालांकि विभाग के अधिकारी व कर्मी इसे संयोग बताते हैं. कर्मियों के अनुसार स्कूलों के पंजीयन के लिए आवेदन की जांच होती है, लेकिन इसके लिए किसी क्रम का अनुपालन नहीं होता है. जब जांच की प्रक्रिया आरंभ होती है,
क्रमविहीन तरीके से ही किसी फॉर्म का चयन कर लिया जाता है. यही कारण है कि विभाग के पास यह आंकड़ा भी स्पष्ट नहीं है कि उसने किस वर्ष या माह तक के आवेदनों का निष्पादन कर दिया है और किस अवधि का आवेदन लंबित है. वही इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. बच्चे मानकविहीन और बिना पंजीकृत स्कूलों में ही शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं.
आरटीइ एक्ट का होता है उल्लंघन : जिले में पंजीकृत स्कूल हों या गैर पंजीकृत स्कूल आरटीइ एक्ट (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) का खुला उल्लंघन करते नजर आ रहे हैं. दरअसल पंजीकृत स्कूलों को भी अधिकतम कक्षा 08 तक के लिए प्रस्वीकृति प्रदान की जाती है. वही बिहार राज्य बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 व बिहार राज्य बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 का अनुपालन भी करना है.
स्कूल को कक्षा में बच्चों के नामांकन की कुल क्षमता का 25 फीसदी नामांकन पड़ोस के कमजोर वर्ग व अलाभकारी समूह के बच्चों का करना है और उन्हें मुफ्त एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा उसकी पूर्णता तक प्रदान करना है. पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के संचालन की स्थिति में इस मानक का अनुपालन उन कक्षाओं के लिए भी करना है. राज्य सरकार द्वारा इस राशि की प्रतिपूर्ति की जाती है. इसके अलावा स्कूल को किसी कैपिटेशन फीस लेने तथा बच्चे या उसके अभिभावक का स्क्रीनिंग टेस्ट लेने का अधिकार नहीं है.
बिना जांच कराये ही निर्गत किया जाता है प्रमाणपत्र
निजी स्कूलों के पंजीयन संबंधी प्रमाणपत्र मामले में स्थलीय जांच नहीं होती है. सूत्र बताते हैं कि पंजीयन मामले में धनबल और ऊंची रसूख का खूब बोलबाला रहा है. मानक मामले में कार्रवाई की गाज भले ही माउंट जियोन स्कूल पर गिर रही हो, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि मानक मामले में विभाग द्वारा भी पंजीयन निर्गत करने में लापरवाही बरती गयी. सूत्रों के अनुसार पंजीकृत 104 स्कूलों में करीब 80 फीसदी स्कूल मानक विहीन हैं. लिहाजा संभव है कि जांच हुई तो विभाग का काला चेहरा भी लोगों के सामने आ जायेगा. यही कारण है कि विभागीय अधिकारी अन्य स्कूलों की जांच से कतरा रहे हैं.
जांच के िलए गठित
की जा रही है टीम
मानकविहीन स्कूलों की जांच के लिए टीम गठित की जा रही है. टीम बना कर जिले के सभी स्कूलों की जांच करायी जायेगी और कार्रवाई भी की जायेगी. किसी भी सूरत में स्कूल संचालकों को मनमानी की छूट नहीं दी जायेगी.
पंकज कुमार पाल, जिलाधिकारी, पूर्णिया

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