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शादी से पहले व गर्भावस्था में थैलेसीमिया की जरूर करायें जांच

पूर्णिया : ले में थैलेसीमिया के मरीजों की संख्या में हाल के दिनों में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है. हालांकि जिले में कितने लोग थैलेसीमिया से ग्रसित हैं, इसका कोई आकड़ा नहीं है. लेकिन यह सच है कि सप्ताह में अमूमन एक मरीज थैलेसिमिया के इलाज के लिए पूर्णिया पहुंच रहे हैं. थैलेसीमिया के […]

पूर्णिया : ले में थैलेसीमिया के मरीजों की संख्या में हाल के दिनों में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है. हालांकि जिले में कितने लोग थैलेसीमिया से ग्रसित हैं, इसका कोई आकड़ा नहीं है. लेकिन यह सच है कि सप्ताह में अमूमन एक मरीज थैलेसिमिया के इलाज के लिए पूर्णिया पहुंच रहे हैं. थैलेसीमिया के बढ़ते रोगियों के कारण रक्त अधिकोष में रक्त की मांग बढ़ने की बात स्वास्थ्य विभाग भी स्वीकार कर रहा है. गौरतलब है कि थैलेसीमिया एक आनुवांशिक खून संबंधी बीमारी है, जिसमें रोगी के शरीर में लाल रक्त कण और हीमोग्लोबिन सामान्य से कम हो जाता है. यह आनुवांशिक रोग जितना घातक है, इसके बारे में जागरूकता का उतना ही अभाव है.

क्या है थैलेसीमिया : सामान्य रूप से स्वस्थ्य शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है. लेकिन थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों में श्वेत रक्त कणों की उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है. इसका सीधा प्रभाव मानव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है. हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है. इसके बाद शरीर हमेशा किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है. पूरे शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह के लिए हीमोग्लोबिन नाम के प्रोटीन की जरूरत होती है और यदि यह न बने या सामान्य से कम हो, तो बच्चे की थैलेसीमिया रोग से ग्रसित होने की आशंका अधिक रहती है, जिसका खून की जांच के बाद ही पता चल सकता है.
दो प्रकार के होते हैं थैलेसीमिया : यह आनुवांशिक रोग दो तरह क के होते हैं. मेजर थैलेसीमिया में रोगी को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है, जबकि माइनर एक तरह से थैलेसीमिया जीन के वाहक का काम करता है. इसलिए यह जरुरी हो जाता है कि शादी के दौरान खून की जांच करा लेना चाहिए. इस जांच के जरिए यह पता चल सकता है कि साथी में थैलेसीमिया जीन का वाहक है या नहीं. ऐसा करने से अगली पीढ़ी थैलिसीमिया से ग्रसित होने की संभावना कम हो जाती है.
थैलेसीमिया पीड़ितों को रक्त की ज्यादा जरूरत
थेलेसीमिया पी‍ड़ित के इलाज में काफी ज्यादा रक्त चढ़ाने और दवाइयों की आवश्यकता होती है. इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते, जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मृत्य हो जाती है. सही इलाज करने पर 25 वर्ष व इससे अधिक जीने की आशा होती है. जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, रक्त की जरूरत भी बढ़ती जाती है. ऐसे में विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच आवश्यक है. इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसकी जांच जरूरी है. रोगी की हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाये रखने की कोशिश करें.
(सिविल सर्जन डॉ एमएम वसीम से बातचीत पर आधारित)
यह है लक्षण
चेहरा सूखना
लगातार बीमार रहना
वजन ना बढ़ना
चिड़चिड़ापन
भूख न लगना
सामान्य विकास में देरी

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