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महिलाओं ने कहा, सपना सच हुआ

महिलाओं ने कहा, सपना सच हुआ प्रतिनिधि4 पूर्णियाराज्य में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के साथ ही आधी आबादी ने राहत की सांस ली है. दरअसल शराब से उपजे दुष्प्रभाव और शराबियों से सबसे अधिक प्रताड़ित महिलाएं ही होती रही हैं. ऐसे में जब राज्य सरकार द्वारा देसी शराबबंदी की घोषणा की गयी तो उस समय […]

महिलाओं ने कहा, सपना सच हुआ प्रतिनिधि4 पूर्णियाराज्य में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के साथ ही आधी आबादी ने राहत की सांस ली है. दरअसल शराब से उपजे दुष्प्रभाव और शराबियों से सबसे अधिक प्रताड़ित महिलाएं ही होती रही हैं. ऐसे में जब राज्य सरकार द्वारा देसी शराबबंदी की घोषणा की गयी तो उस समय भी आधी आबादी के हिस्से ने पूर्ण शराबबंदी की मांग की और अपना विरोध भी जताया. अब जब महिलाओं के मंसूबे पूरे हो चुके हैं तो महिला विरादरी में जश्न का माहौल है. प्रभात खबर ने जब विभिन्न वर्गों की महिलाओं से बातचीत की तो निष्कर्ष यह था कि इससे अच्छी खबर कोई और हो ही नहीं सकती है और यह तो खुली आंखों से देखे गये सपने का सच होने जैसा लग रहा है. सुभाष नगर की गृहिणी डेजी कुमारी ने कहा कि लड़खड़ाते कदमों से और अजीबो-गरीब हरकत करते हुए जब मर्द घर वापस आता है तो उस समय पत्नी की और बच्चों की क्या मनोदशा होती है, यह वही बता सकती है, जिसने इस दर्द को झेला है. शराब के नशे ने कई महिलाओं को विधवा बना दिया तो कई बच्चे अनाथ हो गये. काश नीतीश कुमार ने अपने पहले कार्यकाल में ही यह कदम उठाया होता तो कई परिवार उजड़ने से बच जाता. शक्तिनगर निवासी गृहिणी मोमिता सुमन का कहना है कि पूर्ण शराबबंदी का फैसला राज्य सरकार द्वारा काफी देर से उठाया गया एक सराहनीय कदम है. पति या बेटा अगर शराबी हो तो पूरे परिवार की जिंदगी नर्क में तब्दील हो जाती है. इसका सबसे अधिक खामियाजा घर की महिलाओं को ही भुगतना पड़ता है. ऐसे में कोई भी महिला इस घोषणा का स्वागत ही करेंगी, विरोध का सवाल ही पैदा नहीं होता है. सामाजिक कार्यकर्ता नीलम जायसवाल का कहना है कि पूर्ण शराब बंदी का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्णय एक ऐतिहासिक फैसला है. इससे समाज में बड़ा बदलाव आयेगा. इससे न केवल स्वच्छ समाज का निर्माण होगा, बल्कि पारिवारिक माहौल भी बेहतर बन सकेगा. महिला समाज मुख्यमंत्री के इस फैसले से राहत महसूस कर रहा है और उनका शुक्रगुजार हैं. पूर्व वार्ड पार्षद निशा देवी का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चयों में शामिल शराबबंदी के फैसले के सरजमी पर उतरने से लोगों का मुख्यमंत्री के प्रति विश्वास बढ़ा है. सबसे बड़ी समस्या यह थी कि शराब के आदी अधिकांश लोगों में वे लोग शामिल थे, जो दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से जुटा पाते थे. ऐसे लोगों की वजह से परिवार की महिलाएं और बच्चे प्रताड़ित हो रहे थे. ऐसे बुरे दिन अब कम से कम लोगों को देखने को नहीं मिलेंगे. पूर्व वार्ड पार्षद सुषमा मांझी ने कहा कि पूर्ण शराब बंदी का सरकार का फैसला सराहनीय है. आधी-अधूरी शराब बंदी से व्यवस्था व सामाजिक शांति को खतरा था. विदेशी शराब के लिए लोग गांव से शहर की तरफ आते तो समस्या घटने की बजाय और बढ़ती ही जाती. ऐसी उम्मीद है कि अब आपराधिक घटनाओं में भी पूर्व की तुलना में कमी आयेगी. वार्ड पार्षद सरिता राय कहती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्ण शराब बंदी लागू कर यह साबित कर दिया है कि उनके कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है. उन्होंने अपनी घोषणा को पूर्ण रूपेण लागू कर महिलाओं को एक बड़ा तोहफा दिया है. इसे अब पूरी तरह से लागू करने में अगर प्रशासन सफल होता है तो समाज और घर परिवार में महिलाएं सुकून और खुशहाली के साथ जी सकेंगी. पारिवारिक परामर्श केंद्र की सदस्य स्वाति वैश्यंत्री ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा की सबसे बड़ी वजह शराब ही थी. पूर्ण शराबबंदी से इस पिछड़े इलाके के लोगों का आर्थिक और सामाजिक स्तर का उन्नयन होगा. इसके अलावा अपराध और दुर्घटनाओं में भी कमी आयेगी. क्योंकि शराब पीने के बाद व्यक्ति पशुवत हो जाता है. इसलिए यह शराबबंदी केवल महिलाओं ही नहीं, सबों के लिए राहत भरा फैसला है. गांधीनगर किडजी स्कूल की निदेशक आरती सिंह का मानना है कि यह सच है कि नशे का जो हुआ शिकार, उजड़ा उसका घर-परिवार. नशे के आदी हो चुके लोगों के बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव देखने को मिला है. पूर्ण शराबबंदी से महिलाओं से अधिक और किसी को खुशी नहीं हो सकती है. यह तो ऐसा ही है जैसे कि खुली आंखों से सपना देखा हो और वह सच हो गया हो. फोटो:- 07 पूर्णिया 01 से 08परिचय:- 01- डेजी कुमारी02- मोमिता सुमन03- नीलम जायसवाल 04- निशा देवी05- सुषमा मांझी06- सरिता राय07- स्वाति वैश्यंत्री08- आरती सिंह

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