पूर्णिया : गत वर्ष हुए तीन हत्याकांड एक ओर जहां लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है, वहीं पुलिस के लिए भी अब तक पहेली बनी हुई है. चर्चित गीता देवी हत्याकांड, बौआ झा हत्याकांड जैसे उलझे मामले को सुलझाने में पुलिस ने कामयाबी हासिल की. वहीं दूसरी ओर फानूस, दिलवर व अभियंता योगेंद्र हत्याकांड पर आज भी पर्दा पड़ा हुआ है.
जानकीनगर थाना क्षेत्र के विनोबा गांव में नोट डबलर मो फानूस, सहायक खजांची थाना क्षेत्र के सज्जाद नगर स्थित इंटर का छात्र दिलवर आलम एवं मरंगा थाना क्षेत्र के बसंत बिहार स्थित सेवानिवृत्त अभियंता योगेंद्र प्रसाद मंडल की हत्या का पुलिस ने न तो खुलासा किया बल्कि अनुसंधान कार्य को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. वैज्ञानिक अनुसंधान का दावा करने वाली पुलिस उन मामलों में सफलता हासिल कर लेती है, जो हाइ प्रोफाइल होते हैं. लेकिन यही वैज्ञानिक अनुसंधान आम लोगों के मामले में क्यों दम तोड़ देती है, सवालों के घेरे में है.
फानूस की मौत रह गया राज : सैकड़ों लोगों को करोड़ों का चूना लगाने वाले नोट डबलर गिरोह के सरगना मो फानूस की मौत 31 जुलाई 2015 की शाम को हुई थी. पुलिस अनुसंधान में फानूस की मौत को आत्महत्या करार दिया गया है. लेकिन पुलिस के इस तर्क को स्थानीय लोग मानने के लिए आज भी तैयार नहीं है. इसका कारण यह है कि फानूस को न्यायालय से जमानत मिल गयी थी. जिस दिन उसकी मौत हुई, उस दिन वह लोगों के बकाये पैसे लौटाने वाला था. अगर फानूस को आत्महत्या ही करना था तो वह उसी दौरान ही कर लेता, जब वह पुलिस व बकायेदारों के भय से फरार था. फानूस की मौत हत्या थी या आत्महत्या, यह आज भी सवालों के घेरे में है. खासकर घटना के बाद से परिजनों की गतिविधि और आम लोग की राय आत्महत्या थ्योरी पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
ठंडे बस्ते में है योगेंद्र हत्याकांड : मरंगा थाना क्षेत्र के बसंत बिहार में सेवानिवृत्त योगेंद्र की हत्या 23 दिसंबर 2015 की रात चाकू घोंप कर कर दी गयी थी. हत्या के 09 माह बीत जाने के बाद भी इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में पुलिस को कामयाबी नहीं मिली है. यह हत्याकांड सुलझने के बजाय समय के साथ उलझता ही चला जा रहा है. मृतक अभियंता की जिंदगी भी सवालों के घेरे में है. पड़ोसी रिश्तेदारों की मानें तो मृतक अभियंता न केवल केवल शराब के शौकीन थे, बल्कि कई निमूंछिया लड़कें भी उनके मित्र थे. हत्याकांड का नामजद अभियुक्त रिक्की सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि दूसरा अभियुक्त मृत्युंजय कुमार मंडल पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया है.
दिलवर के परिजनों को न्याय का इंतजार : सहायक खजांची थाना क्षेत्र के सज्जाद नगर स्थित इंटर का छात्र दिलवर आलम की धारदार हथियार से हत्या की गयी थी. उसकी लाश सड़ी-गली अवस्था में खुले हुए घर से 29 जुलाई 2015 को बरामद हुआ था. इस हत्याकांड में पुलिस को अहम सुराग भी मिले थे. दिलवर के बरामद मोबाइल के कॉल डिटेल भी खंगाले गये. अनुसंधान में जुटी पुलिस ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि दिलवर की हत्या प्रेम-प्रसंग में हुई है. लेकिन दिलवर की प्रेमिका कौन थी और हत्यारे कौन थे, यह आज भी रहस्य बना हुआ है. इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका आरंभ से ही संदिग्ध रही है. सच जानने के लिए दिलवर के परिजन थाना से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाते रहे, लेकिन सच सामने नहीं आ सका.