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किसानों का चौताल, कब्जाधारियों को देने की चल रही चाल
-वर्ष 2010 के आसपास से मंडी में चौतालों पर कब्जे का खेल जारी है, कब्जे के बाद मंडी के कई हिस्से में कई चौतालों को दुकानदारों को हस्तांतरित किया जा चुका है. ऐसा मोटी रकम लेकर किया गया और किसानों को उसके हक से वंचित कर दिया गया पूर्णिया :व्यावसायिक मंडी में किसानों के चौताल […]
-वर्ष 2010 के आसपास से मंडी में चौतालों पर कब्जे का खेल जारी है, कब्जे के बाद मंडी के कई हिस्से में कई चौतालों को दुकानदारों को हस्तांतरित किया जा चुका है. ऐसा मोटी रकम लेकर किया गया और किसानों को उसके हक से वंचित कर दिया गया
पूर्णिया :व्यावसायिक मंडी में किसानों के चौताल को गुपचुप तरीके से अवैध कब्जाधारियों को आवंटित करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए कागजी प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. इस खेल में व्यापक स्तर पर लेन-देन की भी चर्चा जोरों पर है. बताया जाता है कि फिलहाल दो चौताल को करीब 15 पार्ट में बांट कर 15 लोगों को देने की प्रक्रिया जारी है. हालांकि सरकारी स्तर पर इन बातों को बेबुनियाद बताया जा रहा है. वहीं इस खबर के फैलते ही तौलक संघ ने तेवर कड़े कर लिए हैं. तौलक संघ के अध्यक्ष भोलानाथ आलोक का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा.
क्या है चौताल का उद्देश्य
जानकार बताते हैं कि मंडी समिति के स्थापना के समय किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए मंडी समिति में खुला चौताल का निर्माण कराया गया था. इसका उद्देश्य यह था कि मंडी में कृषि जिंस लेकर आये किसानों का फसल अगर नहीं बिका तो इस चौताल पर अपना फसल रख सकेंगे और दूसरे दिन उसे बेचा जा सकेगा. इसके लिए कोई किराया लेने का प्रावधान नहीं था. आरंभिक दिनों में यह उद्देश्य पर खड़ा भी उतर रहा था, लेकिन वक्त बीतने के साथ इस पर अवैध कब्जा का खेल आरंभ हो गया. बहरहाल अधिकांश चौतालों पर अघोषित रूप से व्यवसायियों का कब्जा है.
पहले भी हुई है ऐसी साजिश
बताया जाता है कि वर्ष 2010 के आसपास से मंडी में चौतालों पर कब्जे का खेल जारी है, कब्जे के बाद मंडी के कई हिस्से में कई चौतालों को दुकानदारों को हस्तांतरित किया जा चुका है. ऐसा मोटी रकम लेकर किया गया और किसानों को उसके हक से वंचित कर दिया गया. जानकारों की मानें तो इस कार्य को विभागीय अधिकारी बड़े ही गुपचुप तरीके से अंजाम देते रहे हैं. पहले संबंधित अधिकारी द्वारा कब्जा करा कर मोटी रकम वसूली जाती है, फिर हस्तांतरण के समय भी एक बड़ी रकम का खेल खेला जाता है.
बचे हुए चौतालों पर हो रही साजिश
जानकारों के अनुसार मंडी समिति के अंदर शेड रहित करीब पांच चौताल बचे हैं. इस पर भी लोग कब्जा जमाये बैठे हैं. ऐसे में किसानों को सड़क पर अनाज रखने व बेचने की विवशता है. सूरत-ए-हाल यह है कि अब इस बचे चौतालों को भी कब्जे धारियों को देने की साजिश रची जा चुकी है, बल्कि जो बातें छन कर बाहर आ रही है, दो चौतालों का खेल खत्म हो चुका है. अब सवाल यह है कि मंडी में अनाज लेकर आने वाले किसानों का क्या होगा.
न्यायालय में लंबित है मामला
चौताल से संबंधित एक रिट याचिका वर्ष 2013 में पटना उच्च न्यायालय में तौलक संघ ने दायर किया है. उपलब्ध जानकारी अनुसार उस याचिका में कहा गया है कि कृषि उत्पादन बाजार समिति के स्थापना के समय बने नियमावली में चौताल किसानों के हित को देखते हुए बना है. उनके सहयोगी के लिए यहां तौलक बहाल किये गये थे, जिन्हें लाइसेंस जारी किया गया था. लेकिन वर्ष 2013 में जब चौताल का किराया तय किया गया तो तौलक संघ ने न्यायालय में रिट दायर कर इसका विरोध किया था.
चलता है कब्जे का खेल
सवाल यह है कि जब दर्जनों सिपाही और पर्यवेक्षक मंडी में तैनात हैं, तो अवैध कब्जे का खेल किसके संरक्षण में चल रहा है. हाल यह है कि किसानों के चौताल लोगों के कब्जे में है और खुले चौताल पर घेरा लगा कर उसे गोदाम बना दिया गया है. लेकिन जिन लोगों के जिम्मे चौताल और मंडी की सुरक्षा की जिम्मेवारी है, वह खामोश है. कुछ लोगों का तो कहना यह भी है कि विभागीय अधिकारियों के निगेहबानी में ऐसा कार्य किया जाता है, जिससे प्रतिमाह लाखों की उगाही भी होती है.
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