समय के साथ बढ़ता चला गया देह व्यापार का धंधा फालोअप पूर्णिया. मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यों-ज्यों दवा की जैसे हालात सीमांचल में देह व्यापार धंधे का भी है. जिस्म फरोशी के धंधे को जब-जब पुलिसिया अभियान के तहत दबाने की कोशिश की गयी, परिणाम अनुकूल नहीं निकला. हुआ यह कि एक जगह उजड़ने के बाद दूसरी जगह वैसे ही लोगों ने फिर जिस्म फरोशी का कारोबार आरंभ कर दिया. कटिहार मोड़ के निकट अब्दुल्ला नगर स्थित घोषपाड़ा आजकल जिस्म फरोशी के धंधे को लेकर एक बार फिर चर्चा में है. यहां 42 घर ऐसे हैं, जहां जिस्म का व्यापार तेजी से फल-फूल रहा है. घोषपाड़ा से सटा सिनेमा हॉल टोला में भी करीब एक दर्जन लड़कियां देह व्यापार के कारोबार में लिप्त हैं. कटिहार के ड्राइवर टोला में हुई थी कार्रवाई देह व्यापार के रोकथाम के लिए कटिहार जिला प्रशासन की ओर से शहर के देह मंडी में वर्ष 2007 में सख्त अभियान चलाया गया था. तत्कालीन डीएम लक्ष्मीकांत व एसपी अनिल किशोर यादव की अगुवाई में आम्रपाली मुहल्ले को उजाड़ दिया गया था. इस कार्रवाई से पहले आम्रपालियों के पुनर्वास की भी योजना बनायी गयी थी. लेकिन पुनर्वास योजना फाइलों में सिमटा रह गया. परिणाम यह निकला कि दर्जनों आम्रपाली दूसरी जगह जाकर पुन: देह व्यापार शुरू कर दिया. जानकारी अनुसार कटिहार से कुछ पेशेवर महिलाएं पूर्णिया भी आयीं. तत्कालीन एसपी ने चलाया था अभियान 30 अक्टूबर 2013 को तत्कालीन एसपी किम ने पूर्णिया के गुलाबबाग व कटिहार मोड़ स्थित देह व्यापार की मंडी को बंद कराने के लिए कार्रवाई की थी. इस दौरान देह व्यापार से जुड़े करीब 07 दर्जन महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. इनमें से कई महिलाओं पर जबरन देह व्यापार कराने के गंभीर आरोप लगे थे. जानकार सूत्र बताते हैं कि गिरफ्तार महिलाओं में अधिकांश महिलाएं जमानत पर छूट गयी और कुछ दिन के अंतराल पर पुन: जिस्म फरोसी का धंधा शुरू हो गया. गुलाबबाग के लखनझड़ी और कटिहार मोड़ के निकट घोषपाड़ा में तत्कालीन एएसपी दीपक वर्णवाल के नेतृत्व में भी कार्रवाई की गयी थी. इस मामले में सदर थाना कांड संख्या 454/13 दर्ज किया गया था. पुलिस द्वारा कई पेशेवर की गिरफ्तारी हुई थी. हैरानी की बात यह है कि सभी न्यायालय से मिली जमानत पर जेल से बाहर निकल कर फिर उसी जगह देह व्यापार में जुटी हुई है. देह मंडी में होती है बड़ी कमाई सूत्र बताते हैं कि देह मंडी में बड़ी कमाई होती है. लेकिन देह मंडी में जितनी पेशेवर कमाई करती है, उससे अधिक उसके संरक्षक की कमाई है. जानकार बतलाते हैं कि कटिहार मोड़ पर ही कई ऐसे संरक्षक हैं, जिन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर रखी है. दरअसल प्रति पेशेवर प्रतिदिन न्यूनतम 1500 और अधिकतम 3000 रुपये की कमाई होती है. इतनी बड़ी आमदनी को छोड़ कर पेशेवर कोई दूसरा पेशा अपनाना नहीं चाहती है. दूसरी बात सरकार के स्तर पर भी इनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती है. लिहाजा इस बदनाम रास्ते पर एक बार कदम बढ़ाने के बाद हालात इस कदर हो जाते हैं कि वापसी मुश्किल हो जाती है. फोटो:- 05 पूर्णिया 06परिचय:- कटिहार मोड़ स्थित घोषपाड़ा
समय के साथ बढ़ता चला गया देह व्यापार का धंधा
समय के साथ बढ़ता चला गया देह व्यापार का धंधा फालोअप पूर्णिया. मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यों-ज्यों दवा की जैसे हालात सीमांचल में देह व्यापार धंधे का भी है. जिस्म फरोशी के धंधे को जब-जब पुलिसिया अभियान के तहत दबाने की कोशिश की गयी, परिणाम अनुकूल नहीं निकला. हुआ यह कि एक जगह उजड़ने के […]
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