उम्मीद: कूड़े-कचरे से हो सकता है जैविक खाद का निर्माण पूर्णिया. शहरी एवं ग्रामीण जैविक कूड़े-कचरे से जैविक खाद का निर्माण संभव है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नयी दिल्ली में प्रतिदिन कचरे का संग्रहण कर जैविक खाद तैयार किया जा रहा है. कृषि तकनीकी प्रबंधन एजेंसी पूर्णिया के उपनिदेशक हरि मोहन मिश्र ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नयी दिल्ली की ओर से प्रति सीजन 25 लाख रुपये से अधिक मूल्य का जैविक खाद तैयार किया जा रहा है. बताया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे पर्यावरण के लिए अभिशाप साबित हो रहे हैं. उसे नयी तकनीक के की ओर से जैविक उर्वरकों में तब्दील किया जा सकता है. इस पहल से खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है तथा शहर एवं गांवों को स्वच्छ भी रखा जा सकता है.45 दिन में तैयार होता है जैविक उर्वरक भारतीय कृषि अनुसंधान पूसा नयी दिल्ली में सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग की ओर से विकसित तकनीक से जैविक कचरों को मात्र 45 दिनों में अपघटित कर जैविक उर्वरकों में तब्दील किया जा रहा है. इस तकनीक के तहत कचरे को गड्ढे में इकट्ठा किया जाता है. जहां कचरे के परत दर परत सूक्ष्म जीवों के कल्चर को अपघटनकारी एजेंट के रूप में बिखेरा जाता है. ये अपघटनकारी सूक्ष्म जीव उन कचरों को 45 दिनों में खूबसूरत खुशबूदार जैविक खाद में तब्दील कर देता है. श्री मिश्र कहते हैं कि इस विधि से जैविक कूड़े-कचरों से जैविक खाद तैयार करने से वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में काफी मदद मिलती है. इस तकनीक से जैविक खाद तैयार करने से वायु प्रदूषण का खतरा कम हो जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों की ओर से धान, गेहूं एवं मक्का सहित कई प्रकार के फसलों के डंठल जला दिये जाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ता है. इसके अलावा मृदा में मौजूद कई प्रकार के मित्र कीट मर जाते हैं. ऐसे मित्र कीट खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं और उसके मरने से खेतों की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. जिले में है पर्याप्त संभावना आत्मा उपनिदेशक श्री मिश्र के अनुसार यहां भी कूड़े कचरे से जैविक खाद निर्माण की बेहतर संभावना है. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे यहां आरंभ किया जा सकता है. इस इलाके में यह योजना इसलिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है कि यहां व्यापक पैमाने पर रसायनिक खाद का इस्तेमाल होता है. वहीं गांव से लेकर शहर तक कचरे का अंबार लगा रहता है. यहां अगर इस परियोजना पर कार्य किया जाये तो ना केवल किसानों को आर्थिक बचत होगी बल्कि पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा. जैविक कूड़े-कचरे से जैविक खाद तैयार करने से फसलों को कीट एवं व्याधियों के नुकसान के स्तर को भी काफी कम किया जा सकता है. साथ ही अन्न, जल एवं वायु को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी.फोटो: 2 पूर्णिया 1परिचय-जैविक खाद
उम्मीद: कूड़े-कचरे से हो सकता है जैविक खाद का नर्मिाण
उम्मीद: कूड़े-कचरे से हो सकता है जैविक खाद का निर्माण पूर्णिया. शहरी एवं ग्रामीण जैविक कूड़े-कचरे से जैविक खाद का निर्माण संभव है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नयी दिल्ली में प्रतिदिन कचरे का संग्रहण कर जैविक खाद तैयार किया जा रहा है. कृषि तकनीकी प्रबंधन एजेंसी पूर्णिया के उपनिदेशक हरि मोहन मिश्र ने बताया […]
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