उद्धारक की बाट जोह रहा है इंदिरा गांधी स्टेडियम – खेल से अधिक अन्य गतिविधि बनी पहचान- इतिहास को सहेजने में विफल रहे हैं अधिकारी——————पूर्णियात्रजिला मुख्यालय स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम का निर्माण जिले में खेल को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1986 में कराया गया था.स्टेडियम के निर्माण से खिलाडि़यों में खुशी का माहौल था. लेकिन वक्त बीतता गया और इसके साथ ही स्टेडियम की हालत बद से बदतर होती चली गयी. खेल के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने का सपना देख रहे युवाओं के सपनों पर ग्रहण लगता चला गया. आलम यह है कि स्टेडियम की चहारदीवारी के बाहर बने छोटे-छोटे कमरे ध्वस्त हो रहे हैं या लब प्वाइंट बन कर रह गया है. स्टेडियम की ध्वस्त हो रही दीवारें खुद अपनी उपेक्षा की दास्तान सुना रही है. लवर्स प्वाइंट बन चुका है स्टेडियमखेल को बढ़ावा देने के लिए बना स्टेडियम अब खेल के बजाय, लवर्स प्वाइंट के लिए अधिक जाना जाता है. स्टेडियम में दिन भर यहां युवा जोड़ों का जमावड़ा लगा रहता है. कई बार इसके चलते युवाओं में विवाद भी हुआ. स्टेडियम में अब तक गिने-चुने राज्य व जिला स्तर के खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ है. इसके अलावा यहां कभी आर्मी और पुलिस बहाली के लिए लोग जुटते हैं, तो कई बार राजनेताओं की रैलियां आयोजित होती हैं. नतीजा है कि रख-रखाव के अभाव में मैदान खेल के आयोजन लायक भी नहीं रह गया है.लिहाजा क्रिकेट और फुटबॉल एसोसिएशन के सदस्य भी प्रतियोगिता के आयोजन के लिए कभी इस ओर नहीं झांकते हैं. ऑस्ट्रेलियाई नागरिक की थी जमीन इंदिरा गांधी स्टेडियम एवं इससे सटी रंगभूमि मैदान की जमीन ऑस्ट्रेलियाई नागरिक की थी. जमीन के मालिक सिविलयन हैज के पुत्र पार हैज थे. वर्ष 1937 में उन्होंने गवर्नर के नाम यह जमीन हस्तांतरित की. इंदिरा गांधी स्टेडियम समिति के सचिव श्याम कुमार बताते हैं कि बाद में वर्ष 1986 में यह जमीन सरकार द्वारा पूर्णिया कॉलेज के नाम हस्तांतरित कर दी गयी. लिहाजा स्टेडियम भी पूर्णिया कॉलेज को सुपुर्द है. 31 जुलाई 1986 को तत्कालीन जिलाधिकारी के पत्रांक 4340 द्वारा बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा को पत्र लिख कर स्टेडियम पूर्णिया कॉलेज के हवाले सुपुर्द किया गया था. महज चंद प्रतियोगिताओं का हुआ है आयोजनस्टेडियम में वर्ष 1992-93 में अंतर विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इसके बाद 2010 में राज्यस्तरीय बालिका खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसके अलावा तीन बार वनवासी खेल प्रतियोगिता का भी स्टेडियम परिसर में आयोजित हुआ है, अंतिम बार 29 दिसंबर को प्रतियोगिता आयोजित हुई. कुल मिला कर स्टेडियम का उपयोग खेल के लिए ना के बराबर ही हुआ है. हां, हर चुनाव में जब्त किये गये वाहनों को जिला प्रशासन द्वारा स्टेडियम का ही उपयोग किया गया है. साथ ही अन्य कई सरकारी कार्यक्रम के आयोजन के लिए स्टेडियम का उपयोग होता रहा है. जाहिर है खेल मैदान में सैकड़ों वाहनों के परिचालन से मैदान की स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं होगा. कमरों में रहते थे सैप के जवान यूं तो राज्य सरकार का आदेश वर्ष 2012 में ही जारी हुआ था कि खेल मैदान का प्रयोग केवल खेल के लिए किया जाना है और अन्य गतिविधियां खेल मैदानों में वर्जित है. लेकिन इंदिरा गांधी स्टेडियम पर सरकार का यह आदेश लागू नहीं होता है. स्टेडियम में बने कमरों पर भी प्रशासन सहित आम लोगों ने अतिक्रमण होता रहा है. पूर्व में यहां कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालित होता था. फिर सैप के जवानों ने भी इन कमरों में डेरा जमा लिया. नतीजा रहा कि वर्ष 2001 से 2004 तक इंस्टीट्यूट में छात्रों की संख्या घटती चली गयी और बाद में इसे बंद करना पड़ा.बहरहाल कमरों की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है और अब लोग इसमें प्रवेश से भी कतराते हैं. टूट चुकी है सड़क, आमदनी के बाद भी उपेक्षामालूम हो कि स्टेडियम के अंदर दौड़ के लिए सड़क का निर्माण भी कराया गया था. लेकिन अब वह टूट चुकी हैं. वहीं गैलरी की दीवारें भी दरकने लगी हैं और बाहर से लगी खिड़कियां भी टूटने लगी हैं. स्टेडियम के चारों गेट की हालत भी बदतर है. जबकि स्टेडियम में कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजक को निर्धारित राशि पूर्णिया कॉलेज में जमा कराना होता है. जिससे प्रत्येक माह औसतन तीन से चार हजार रुपये की आमदनी होती है. बावजूद स्टेडियम उपेक्षा की मार झेल रहा है और खामियाजा खिलाडि़यों को भुगतना पर रहा है. चुनाव के दौरान रही गहमागहमीइंदिरा गांधी स्टेडियम में विधानसभा चुनाव के दौरान काफी गहमागहमी रही.दरअसल यहां जिला वाहन कोषांग को शिफ्ट किया गया और काफी संख्या में वाहन खेल मैदान में लगाये गये.साथ ही स्टेडियम का रैलियों के लिए भी प्रयोग किया गया.पीएम नरेंद्र मोदी की रैली भी इसी जगह आयोजित हुई.लेकिन रैलियों के दौरान मैदान में जो निर्माण कराये गये, चुनाव संपन्न होने के एक माह बाद भी उसकी सफाई नहीं करायी जा सकी है.अभी भी यहां चुनाव की निशानी मौजूद है और प्रशासन लापरवाह.गौरतलब है कि गत 29 नवंबर को राज्य स्तरीय वनवासी खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित हुई.लेकिन इससे पूर्व भी मैदान की सफाई नहीं करायी गयी.फोटो:- 03 पूर्णिया 24, 25परिचय:- 24 – स्टेडियम की ध्वस्त दीवारें25 – इंदिरा गांधी स्टेडियम का मुख्य द्वार
BREAKING NEWS
उद्धारक की बाट जोह रहा है इंदिरा गांधी स्टेडियम
उद्धारक की बाट जोह रहा है इंदिरा गांधी स्टेडियम – खेल से अधिक अन्य गतिविधि बनी पहचान- इतिहास को सहेजने में विफल रहे हैं अधिकारी——————पूर्णियात्रजिला मुख्यालय स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम का निर्माण जिले में खेल को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1986 में कराया गया था.स्टेडियम के निर्माण से खिलाडि़यों में खुशी का माहौल था. […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement