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10 डग्रिी से नीचे तापमान पर किसान नहीं करें मक्का की बुआई

10 डिग्री से नीचे तापमान पर किसान नहीं करें मक्का की बुआई पूर्णिया. किसान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान पर मक्का फसल की बुआई नहीं करें. मक्का बीज के अनुकूल तापमान नहीं होने से अंकुरण नहीं होने की स्थिति बनी रहेगी, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है. कृषि तकनीकी प्रबंधन संस्था(आत्मा) […]

10 डिग्री से नीचे तापमान पर किसान नहीं करें मक्का की बुआई पूर्णिया. किसान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान पर मक्का फसल की बुआई नहीं करें. मक्का बीज के अनुकूल तापमान नहीं होने से अंकुरण नहीं होने की स्थिति बनी रहेगी, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है. कृषि तकनीकी प्रबंधन संस्था(आत्मा) के उपनिदेशक हरि मोहन मिश्र ने बताया कि मक्का बीज के अंकुरण एवं समुचित वृद्धि के लिए 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान आवश्यक है. उन्होंने कहा कि 10 डिग्री सेल्यियस से कम तापमान का धनवाल निकल रहे मक्के के पौधे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. मक्का एवं अन्य फसलों में निम्न तापमान पर सूक्ष्म तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. ऐसा अधिक ठंड के कारण पौधों की कोशिकाओं में संचित जल के जम जाने के कारण संवहन तंत्र से पोषक तत्वों के आवागमन रूक जाने के कारण होता है. उपनिदेशक श्री मिश्र ने कहा कि तापमान 10 डिग्री से ज्यादा होने पर अपने-आप पौधों की स्थिति अनुकूल हो जाती है. बचाव के उपाय श्री मिश्र ने बताया कि ठंड के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए फसल लगे खेतों के मेड़ पर शाम के समय धुआं करना चाहिए और डाइथेनेम 45 या इंडोफ्लेम 45 का फसलों पर छिड़काव करना चाहिए. फूल वाले फसलों पर कुप्रभाव 10 डिग्री से कम तापमान का फूल दे रहे फसलों पर ज्यादा कुप्रभाव पड़ता है. जिस कारण इस मौसम में फल लगने वाले फसलों में सरसों, मूली, फूलगोभी आदि में लाही लगने की संभावना बढ़ जाती है. इससे बचाव के लिए खेतों में इमिडा क्लोरोपीट नामक दवा का चार प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए तथा खेतों में एक वर्ग फीट लकड़ी की पट्टी पीले रंग से रंग कर उसमें चिपचिपा पदार्थ लगा कर जगह-जगह खूंटे के सहारे ठोक देना चाहिए. इससे लाही का प्रकोप कम होता है. पत्तियां फट जाती है उपनिदेशक आत्मा श्री मिश्र ने कहा कि अधिक ठंड के कारण ऐसी फसलों की पत्तियां कड़ा होकर फट जाते हैं. जिससे फफूंद एवं रोगाणुओं को पौधों में प्रवेश का रास्ता बन जाता है और पौध रोग एवं व्याधियों से संक्रमित हो जाते हैं. जिससे झुलसा रोग का प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है. आलू की फसल में झुलसा का खतरा ज्यादा तापमान 10 डिग्री से नीचे गिरने पर आलू की फसलों में पिछात झुलसा रोग का खतरा बढ़ता है. बचाव के लिए किसानों को शाम के समय खेतों की सिंचाई अवश्य करना चाहिए. इसके अलावा डाइथेनेम 45 दवा का 02 एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बना कर सात दिनों के अंतराल पर छिड़काव करते रहना चाहिए. पछुआ हवा का प्रभाव पछुआ हवा चलने से तापमान नीचे गिर जाता है. जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है. इसके बचाव के लिए डाइथेनेम 45 या इंडोफेलिन 45 का फसलों पर छिड़ाव करना आवश्यक है. 10 डिग्री से नीचे तापमान पर मक्के की सिंचाई उपनिदेशक आत्मा श्री मिश्र ने कहा कि 10 डिग्री से नीचे तापमान हो जाने पर धनवाल एवं मोचा निकले मक्का की फसल में सिंचाई एवं यूरिया का टोप ड्रेसिंग आवश्यक है ताकि परागण एवं निषेचन की क्रिया ठीक से हो अन्यथा दाने नहीं बनने की संभावना बढ़ जाती है.

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