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निजी क्लिनिकों में व्यस्त हैं डॉक्टर, कैसे हो गरीबों का उपचार

पूर्णिया : स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर कई योजनाएं संचालित हैं और योजनाओं पर करोड़ों रुपये भी खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन सरकारी कवायद अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही फेल नजर आ रही है. दरअसल सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर से लेकर प्राइवेट तक सभी निजी क्लिनिकों में व्यस्त हैं और गरीबों के […]

पूर्णिया : स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर कई योजनाएं संचालित हैं और योजनाओं पर करोड़ों रुपये भी खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन सरकारी कवायद अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही फेल नजर आ रही है. दरअसल सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर से लेकर प्राइवेट तक सभी निजी क्लिनिकों में व्यस्त हैं और गरीबों के लिए उपचार की राह आसान नहीं रह गयी है.

मनमर्जी का आलम यह है कि शहर में वर्षों से चिकित्सकों द्वारा संचालित क्लिनिकों का अब तक निबंधन तक नहीं कराया गया है. वहीं प्रशासनिक स्तर से भी ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. एक अनुमान के मुताबिक शहर में सरकारी व निजी डॉक्टरों के लगभग 400 से अधिक क्लिनिक एवं नर्सिंग होम हैं.

जिसमें गत वर्ष महज 29 संचालकों द्वारा निबंधन के लिए आवेदन जमा किया गया. जाहिर है, निजी क्लिनिक व नर्सिंग होम पर नकेल कसने का सरकारी दावा पूरी तरह फेल साबित हुआ है और अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं. वही अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

बिना निबंधन हो रहा संचालनस्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में सरकारी एवं प्राइवेट डॉक्टरों के लगभग 400 से अधिक क्लिनिक, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड सेंटर एवं एक्स-रे सेंटर संचालित हैं.इनमें से अधिकतर सेंटर का संचालन तो वर्षों से बिना निबंधन हो ही रहा है.वही हाल के दिनों में भी खोले गये क्लिनिक व नर्सिंग होम का निबंधन नहीं कराया गया है.जानकारों की मानें तो इनमें से दो-चार को छोड़ कोई भी सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता है

बावजूद ये निर्बाध रूप से संचालित हैं.सूत्रों की मानें तो कई सफेदपोशों का नेटवर्क ही है कि इनके विरुद्ध कार्रवाई की कोई हिमाकत नहीं करता है.वही लोकल स्तर पर भी मैनेज सिस्टम संचालकों के लिए संजीवनी बना हुआ है.सरकारी डॉक्टरों के हैं निजी क्लिनिकजिले के तमाम सरकारी डॉक्टर एवं विभागीय अधिकारियों के लाइन बाजार अथवा आसपास के इलाकों में निजी क्लिनिक तथा नर्सिंग होम संचालित हैं.

नर्सिंग होम एवं क्लिनिकों के संचालन में भी नर्सिंग होम एक्ट की धज्जियां उड़ायी जाती हैं.और तो और अक्सर निजी क्लिनिक संचालन के लिए सरकारी अस्पताल की ड्यूटी से गायब रहना भी डॉक्टरों की फितरत में शुमार हो चुका है.जाहिर है, सरकारी डॉक्टरों की मौज गरीब मरीजों की कमर ढ़ीली करने के लिए कारगर हथियार बनती है.मजबूरन गरीबों को भी निजी क्लिनिकों का रुख करना पड़ता है.नतीजा है कि सरकारी अस्पताल की व्यवस्था चरमरायी हुई है.

वही सरकारी डॉक्टरों द्वारा नियमों का उल्लंघन प्राइवेट डॉक्टरों के लिए भी टॉनिक का काम कर रहा है.केवल फर्जियों ने कराया निबंधनराज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश के आलोक में गत वर्ष जब विभाग ने निबंधन का फरमान जारी किया तो कथित रूप से तमाम फर्जी डॉक्टर, पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड सेंटर व एक्स-रे सेंटर संचालकों ने ताबड़-तोड़ निबंधन कराना शुरू कर दिया.

जानकारों की मानें तो लगभग 29 सेंटर संचालकों द्वारा निबंधन कराया गया, जो दो नंबर धंधे में संलिप्त हैं. ठीक इसके उलट शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टर, पैथोलॉजी, एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों ने निबंधन के लिए आवेदन भी देना मुनासिब नहीं समझा.जाहिर है,

यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि कहीं ऐसे सेंटर भी मानकों को पूरा करते हैं या नहीं.टिप्पणी प्रशासनिक सहयोग के बिना स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे मामलों में कार्रवाई संभव नहीं है.प्रशासन सहयोग करे तो बिना निबंधन संचालित सभी निजी नर्सिंग होम व क्लिनिकों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई की जायेगी.डाॅ एमएम वसीम, सिविल सर्जन, पूर्णिया.फोटो:- 27 पूर्णिया 6परिचय:- क्लिनिक एक्ट की प्रतीकात्मक तसवीर.

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