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बायसी: न झंडा न पोस्टर, चुनाव जीतने की है तैयारी

बायसी: न झंडा न पोस्टर, चुनाव जीतने की है तैयारी पूर्णिया : बायसी विधान सभा क्षेत्र में बैनर पोस्टर के माध्यम से चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है, बल्कि यहां चुनाव लड़ने के लिए सौ रुपये के नोट का प्रयोग हो रहा है. इस सौ रुपये के नोट के लालच में प्रत्याशियों के कार्यालयों में […]

बायसी: न झंडा न पोस्टर, चुनाव जीतने की है तैयारी

पूर्णिया : बायसी विधान सभा क्षेत्र में बैनर पोस्टर के माध्यम से चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है, बल्कि यहां चुनाव लड़ने के लिए सौ रुपये के नोट का प्रयोग हो रहा है. इस सौ रुपये के नोट के लालच में प्रत्याशियों के कार्यालयों में मतदाताओं का जमघट चुनाव कार्यालयों में देखने को मिल रहा है. जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है.

चुनाव कार्यालयों में भीड़ में भी इजाफा हो रहा है. चुनाव से प्रचार सामग्री नदारदबायसी विधानसभा क्षेत्र के डगरुआ व बायसी प्रखंड में काफी कम संख्या में झंडा,बैनर,पोस्टर का इस्तेमाल हो रहा है. अनुमंडल क्षेत्र हो या बाजार या गांव का हिस्सा प्रचार सामग्री नहीं के बराबर देखने को मिल रही है. जहां भी एक-दो अदद बैनर-पोस्टर देखने को मिले तो पता चला कि वह चुनाव कार्यालय है. प्राय: सभी चुनाव कार्यालयों में दिन प्रति दिन मतदाताओं की भीड़ भी बढ़ती जा रही है.

इस भीड़ को देख कर प्रत्याशी आकलन कर लेते है कि किस पंचायत में उसे कितना वोट मिल सकता है. पार्टी विशेष के कार्यालय में लगती है भीड़ दो नामी पार्टी का कार्यालय एन एच 31 के किनारे है. इन दोनों पॉलिटिकल कार्यालयों की रौनक भी देखते बनती है. हर दूसरे दिन दोगुणा मतदाता उनके कार्यालय की शोभा बढ़ाने पहुंच रहे हैं,

जिसे देख प्रत्याशियों की बांछें खिल उठती हैं. बेहताशा भीड़ लगने के कारण के विषय में पूछने पर एक प्रत्याशी ने बताया कि झंडा,बैनर व पोस्टर के मद में रुपये खर्च करना पैसे की बरबादी है. यहां जमा हुए लोगों को शाम के समय में एक सौ रुपये का नोट थमा देते हैं,सभी खुशी-खुशी घर जाते हैं. दूसरे दिन अपने साथ प्रति दिन दो से तीन नये लोगों को साथ लेकर आते हैं.

यही तो यहां प्रचार की परंपरा है. एक साथ कई जगह उपस्थित हो रहे कार्यकर्ता जैसे-जैसे चुनाव का रंग चटक होता जा रहा है. मतदाताओं ने भी अपना रंग बदलना शुरू कर दिया है. कई मतदाता एक साथ कई चुनाव कार्यालयों पर ड्यूटी बजाते हैं. वहां वे दोनों जगह से रुपये वसूल रहे हैं.

ऐसे मतदाताओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सभी ब्रांडों के प्रत्याशियों ने अपने अपने विश्वसनीय लोगों को जासूसी के लिए दूसरे चुनाव कार्यालयों में छोड़ रखे हैं. इसके बावजूद कुछ पेशेवर कार्यकर्ता प्रत्याशियों को गच्चा देने में सफल हो रहे हैं. इस प्रकार एक-एक तथाकथित समर्थक प्रतिदिन की हिसाब से लगभग पांच सौ रुपये के आस-पास कमाई कर लेते हैं. जाहिर है अंत में जिसकी भी नैया डूब जाये लेकिन कुछ दिनों के लिए चंद तथाकथित कार्यकर्ताओं को मौसमी रोजगार प्राप्त हो गया है. फोटो:- 27 पूर्णिया 08परिचय:- सांकेतिक तसवीर

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