पूर्णिया. पुनीत की मां पूनम देवी और पत्नी रानी देवी पुनीत का इंतजार दोपहर की भोजन की थाली पर करती रही. लेकिन पुनीत के बदले उसकी लाश वापस आयी. दरअसल दोपहर का समय था और प्रत्येक दिन इसी समय पुनीत दोपहर का खाना खाने अपने बस स्टैंड स्थित कार्यालय से वापस आता था. सोमवार को वह घर जाने से पहले गैराज चला गया, जहां उसकी कोई गाड़ी खड़ी थी. इसी वजह से वह उस रास्ते वापस लौट रहा था, जहां संभवत: मौत उसका खड़ा इंतजार कर रही थी. मां और पत्नी ने ठीक हादसे से पहले पुनीत को फोन किया तो उसने बताया कि वह घर के पास आ चुका है, खाना निकालिए. लेकिन पुनीत के आश्वासन और वादे अधूरे रह गये.
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आरोपियों के खिलाफ चलेगा स्पीडी ट्रायल
पूर्णिया. पुनीत की मां पूनम देवी और पत्नी रानी देवी पुनीत का इंतजार दोपहर की भोजन की थाली पर करती रही. लेकिन पुनीत के बदले उसकी लाश वापस आयी. दरअसल दोपहर का समय था और प्रत्येक दिन इसी समय पुनीत दोपहर का खाना खाने अपने बस स्टैंड स्थित कार्यालय से वापस आता था. सोमवार को […]
परिचितों में गुस्सा और क्षोभ. पुनीत की हत्या से उसके जानने वाले स्तब्ध थे. यही वजह थी कि जिसने भी सुना पुनीत की घर की ओर रुख कर दिया. पड़ोसियों की मानें तो वर्ष 1999 में पिता पवन चौधरी की हत्या के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर पुनीत ने पिता के व्यवसाय को संभाल रखा था. वह काफी मिलनसार प्रवृत्ति का और मितभाषी भी था. यही वजह थी कि संवेदना व्यक्त करने के लिए पहुंचने वाले लोगों में गुस्सा और क्षोभ व्याप्त था. बिहार विकास मोरचा के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में मोरचा सदस्यों ने शहर की दुकानों को शांतिपूर्वक बंद कराया.
क्रंदन से सीना हो रहा था चाक. तब पुनीत नन्हा था,जब 16 वर्ष पहले उसके घर से उसके पिता की अर्थी उठी थी. तब संभवत: उसे हत्या का मतलब भी पता नहीं था. हत्या का मतलब तो उसे सोमवार को भी पता नहीं था, शायद मौत के बाद पता चला. लेकिन मां पूनम देवी को हत्या का विद्रुप चेहरा बखूबी पता है, यही वजह है कि उनके क्रंदन से वहां मौजूद लोगों का कलेजा चाक हो जा रहा था. पत्नी रानी देवी हादसे के बाद से बेहोश है. लगभग छ: माह में ही वैधव्य की स्थिति से गुजरने वाली रानी के लिए पूरी जिंदगी अब अंधेरी नजर आ रही है. बचपन से पुनीत को गोदी में लेकर टहलने वाले बस ड्राइवर आनंद चौधरी बेजार हो रोये जा रहे थे. रोते हुए कह रहे थे ‘पहले कंधे पर लेकर घुमाया और अब कंधे पर अर्थी उठानी पड़ेगी, इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है’. गौरतलब है कि ड्राइवर श्री चौधरी विगत 30 वर्षो से चौधरी परिवार को सेवा देते रहे हैं.
लफंगों ने की गुंडागर्दी. पुनीत की हत्या के बाद परिजन और नजदीकी रिश्तेदार हत्या के बाद पुलिस की कार्रवाई और पुलिस अधीक्षक के आश्वासन से संतुष्ट थे. वे केवल यह चाह रहे थे कि आरोपियों को शीघ्र ही सजा मिले. इधर, चार बाइक पर सवार आठ लफंगे गुंडागर्दी में मशगूल थे. ऐसी ही एक टीम वी मेगामार्ट को जबरन बंद कराती नजर आयी. सभी गुंडे शराब के नशे में धुत थे. इन्होंने राहगीरों के साथ भी र्दुव्यवहार किया.
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