अमौर: प्रखंड क्षेत्र के तालबाड़ी पंचायत अंतर्गत कपड़िया बनगामा वार्ड नंबर आठ के दो दर्जन महादलित परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. दो दर्जन परिवारों के सौ जॉब कार्ड मनरेगा योजना के तहत बना था. उसमें से एक भी जॉब कार्डधारी को अभी तक काम नहीं मिल सका है.
उसी गांव के तीन विकलांगों को भी अब तक किसी प्रकार का लाभ नहीं मिला है. गांव में एक अदद कच्ची सड़क भी नहीं है, जो सड़क है वह हल्की बारिश में ही चलने लायक नहीं रहती है. गांव में पंचायत मुखिया द्वारा मात्र 12 चापाकल का वितरण 2010 के बाद किया गया है.
अब तक मात्र 16 कटाव पीड़ितों को इंदिरा आवास योजनाओं का लाभ मिल पाया है. गांव में एक भी शौचालय नहीं है. गांव वासियों का खुले में शौच करना मजबूरी है. इस टोला के निवासी आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है.
आंगनबाड़ी का एक भी केंद्र नहीं है. 43 परिवारों के घर 2010 से 2015 के बीच नदी में विलीन हो चुके हैं. विस्थापित परिवारों को अंचलाधिकारी या किसी सरकारी कर्मी द्वारा रहने की व्यवस्था नहीं की गयी है. विस्थापित परिवारों में साहेब लाल हरिजन, खोखन हरिजन, वीरणवती देवी, खगेश हरिजन, मंगल हरिजन, त्रिफू हरिजन एवं श्रवण हरिजन ने बताया कि सरकार द्वारा महादलित परिवारों को रहने के लिए तीन डिसमिल जमीन देने की बात कही गयी थी. लेकिन अंचलाधिकारी के बिचौलियों द्वारा कुछ रकम लेने के बावजूद अब तक जमीन की बंदोबस्ती नहीं की गयी है, जिससे महादलित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. उनलोगों जिला पदाधिकारी से बासगीत जमीन दिलवाने की मांग की है. पंचायत मुखिया नैयर आलम ने बताया कि इस वार्ड के महादलितों द्वारा मनरेगा योजना के तहत काम की मांग नहीं की गयी है. 12 परिवारों के बीच चापाकल का वितरण किया गया है. सड़क के लिए पैसा नहीं रहने के कारण सड़क में कार्य शुरू नहीं किया गया है.