पूर्णिया: सदर अस्पताल का आइसीयू खुद वेंटीलेंटर पर है. पांच वर्ष पूर्व इसकी स्थापना तामझाम के साथ हुई पर इस वर्ष के नवंबर से पहले तक यह बंद ही रहा. नवंबर से इसे चालू भी किया गया तो अब तक मात्र नौ मरीज ही यहां भरती हुए. ऐसा नहीं है कि गंभीर रूप से बीमार मरीज सदर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं.
पहुंचते तो हैं, पर वह आइसीयू में भरती नहीं हो पाते. अस्पताल प्रशासन का भी अपना रोना है, उनका तर्क है कि उनके पास जब चिकित्सक ही नहीं हैं तो फिर कैसे संचालन होगा. लेकिन इसका खामियाजा तो मरीजों को उठाना पड़ रहा है. आइसयू की सफाई को देख कर भी यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर मरीजों का इलाज नहीं होता है.
क्या है कारण
आइसीयू संचालक की कमी है. इस कारण पिछले पांच वर्ष से यहां का कार्य बाधित रहा. आइसीयू का संचालन मुख्य तौर पर निश्चेतक करते हैं. यहां पर निश्चेतक चार हैं, किंतु इसमें से एक लंबे समय से छुट्टी पर चले गये हैं. दो निश्चेतकों की हमेशा डय़ूटी ऑपरेशन थियेटर में लगी रहती है. शेष एक निश्चेतक के बूते आइसीयू का संचालन नामुमकिन है. यही कारण है कि आइसीयू बनने के बाद भी मरीजों को लाभ नहीं दे पाया. हालांकि चिकित्सकों की कमी के लिए रोगी कल्याण समिति भी अस्पताल प्रशासन का ध्यान आकृष्ण कराता रहा है, लेकिन इसका नतीजा अभी तक कुछ भी नहीं निकला है.
पूर्वोत्तर बिहार का महत्वपूर्ण अस्पताल
पूर्णिया का सदर अस्पताल कई मायनों में बिहार के कोसी,सीमांचल के साथ साथ प बंगाल,नेपाल आदि इलाकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण अस्पताल है.अन्य जिलों एवं सीमावर्ती इलाकों के अस्पतालों में वह संसाधन उपलब्ध नहीं है,जो सदर अस्पताल में उपलब्ध है.लिहाजा इन इलाकों के मरीज बेहतर सुबिधा की आस लिए बेधड़क यहां पहुंच जाते हैं.किंतु यहां आने के बाद अस्पताल के अव्यवस्था के कारण दुविधा की स्थिति में आ जाते हैं.मरीजों के पास इतना वक्त भी नहीं होता कि वह अपने मरीजों को कहीं दुसरे हाईयर सेंटर लेकर जाये.