पूर्णिया. पारंपरिक पर्व मकर संक्रांति की तैयारी अब अंतिम चरण में है. इस बार फिर मकर संक्रांति की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं जबकि पंडितों की मानें तो इस साल 14 की बजाय 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा. पंडितों का कहना है कि ज्योतिषीय गणना के हिसाब से 14 जनवरी की रात दो बजे के बाद सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करेंगे.
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अंतिम चरण में है पर्व की तैयारी, कई जगह आज मनाएंगे लोग पर्व
पूर्णिया. पारंपरिक पर्व मकर संक्रांति की तैयारी अब अंतिम चरण में है. इस बार फिर मकर संक्रांति की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं जबकि पंडितों की मानें तो इस साल 14 की बजाय 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जायेगा. पंडितों का कहना है कि ज्योतिषीय गणना के हिसाब से 14 […]
इस लिहाज से 15 जनवरी को संक्रांति होगी. हालांकि अधिकांश लोग ज्योतिषीय गणना के हिसाब से ही मकर संक्रांति मनाने की तैयारी में हैं पर एक बड़ा तबका एेसा भी है जो 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनायेगा.
यहां उल्लेख्य है कि मकर संक्रांति में प्रात: नदी में स्नान करने के बाद अग्निदेव व सूर्यदेव की पूजा और मंदिरों व गरीबों को दान की परंपरा है. इस परंपरा का निर्वाह करते हुए कुछ लोग मंगलवार तो कुछ लोग बुधवार की सुबह सौर नदी में श्रद्धा की डुबकी लगायेंगे.
कहते हैं पंडित
इस बार तिथि को लेकर कोई असमंजस नहीं है. इस साल मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी यानी मंगलवार की मध्य रात्रि 2 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है. चूंकि मध्य रात्रि के बाद संक्रांति हो रही है इसलिए अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दोपहर तक इसका पुण्य काल होगा.
यही कारण है कि मकर संक्रांति का पर्व बुधवार यानी 15 जनवरी को मनाना श्रेष्ठ होगा. पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को 7.19 बजे से संक्रांति काल माना जायेगा जबकि 7.19 बजे से साढ़े 12 बजे तक पुण्यकाल होगा. 15 जनवरी की सुबह संक्रांति स्नान की बेला होगी.
पं. धनंजय झा, ज्योतिषाचार्य, पूर्णिया
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