पूर्णिया : प्रमंडलीय मुख्यालय के शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली सौरा नदी में बढ़ता प्रदूषण आने वाले दिनों में तबाही का संकेत दे रहा है. मगर विडंबना है कि प्रदूषण से मैला होते नदी के पानी पर नियंत्रण की पहल तक नहीं हो रही है. गौरतलब है कि सौरा नदी के आस पास घनी आबादी बसी हुई है और यहां के लोग नदी के पानी का इस्तेमाल भी करते हैं. यहां कप्तानपाड़ा के पीछे घाट बना हुआ है जहां लोग स्नान भी करते हैं. मिलनपाड़ा के समीप स्थित घाट पर छठ के समय अर्घ्य देने वालों का जमघट लगती है.
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प्रदूषण के कारण बेबस व लाचार नजर आ रही जीवन दायिनी सौरा
पूर्णिया : प्रमंडलीय मुख्यालय के शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली सौरा नदी में बढ़ता प्रदूषण आने वाले दिनों में तबाही का संकेत दे रहा है. मगर विडंबना है कि प्रदूषण से मैला होते नदी के पानी पर नियंत्रण की पहल तक नहीं हो रही है. गौरतलब है कि सौरा नदी के आस पास […]
उधर, पूर्णिया सिटी कालीबाड़ी घाट पर भी लोग श्रद्धा की डुबकी लगाया करते हैं मगर विडंबना है कि इस नदी में जहां लोग मृत पशुओं को उपर से ही फेंक देते हैं वहीं नगर निगम नदी किनारे ही कचरा डंप कर रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो सौरा तट स्थित मुक्तिधाम में दाह संस्कार के दौरान कई बार लोग पर्याप्त लकड़ी के अभाव में अधजली लाशें नदी में लुढ़का कर निकल जाते हैं जबकि कई बार लावारिश लाशें भी नदी में फेंक दी जाती हैं.
प्रदूषण का दौर यहीं खत्म नहीं होता. सौरा नदी में नगर की गंदगी भी डाली जा रही है. खुश्कीबाग में बने नाला से बहते हुए पूरे इलाके की गंदगी कटिहार मोड़ स्थित मनुषमारा धार में गिरती है और इस धार का सीधा कनेक्शन सौरा नदी से है जहां पूरी गंदगी नदी में मिल जाती है. आलम यह है कि हर तरफ से नदी में प्रदूषण के कारण जीवन दायिनी नदी बेबस और लाचार है. यही वजह है कि सौरा को प्रदूषण से बचाने के लिए विद्युत शवदाह गृह अनिवार्य माना जा रहा है.
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