पूर्णिया : शहर में कहीं भी पार्किंग जोन नहीं है. मजबूरन मार्केटिंग करने आने वाले लोग वाहनों को रोड के किनारे ही खड़ी कर देते हैं. सह नियति बन गयी है जो अब जाम की समस्या के रूप में नासूर बन गयी है.
वाहनों का जमावड़ा सबसे अधिक लाइन बाजार, गिरिजा चौक, खुश्कीबाग, गुलाबबाग, आरएन साह चौक, भट्ठा बाजार आदि स्थानों पर लगती है. इससे रोड का अधिकांश हिस्से अतिक्रमण का शिकार हो जाती है. आम लोगों की परेशानी बढ़ जाती है.
वाहनों की जमघट के बाद वाहनों का परिचालन भी धीमा हो जाता है. ज्ञात हो कि पूर्णिया प्रमंडलीय मुख्यालय वाला शहर है जो राष्ट्रीय एवं अतर्राष्ट्रीय मार्गों से जुड़ा हुआ है.
यहां कई शहरों से वाहन आते हैं और बड़ी संख्या में वाहनों की भीड़ रहती है. इस शहर में एक मेडिकल हब भी है. हाल के दिनों में तो शहर एजुकेशन हब के रूप में भी विकसित हो गया है. इस कारण यहां वाहनों की जमघट लगती है. चूंकि सार्वजनिक स्थलों पर ऐसी कोई जगह नहीं है जहां वाहनों को खड़ी किया जा सके.
वाहन चालकों की मजबूरी. वाहन चालकों की मजबूरी है कि पूर्णिया जैसे प्रमंडलीय मुख्यालय वाले शहर में कहीं भी वाहन पड़ाव की व्यवस्था नहीं है. सनद रहे कि शहर में दो हजार से अधिक ऑटो चल रहे हैं उसके लिए भी कहीं कोई माकूल पड़ाव नहीं है.
नगर निगम के लाख प्रयास के बाद भी कहीं कोई व्यवस्था नहीं करायी जा सकी. मार्केटिंग करने आये लोग मजबूरन रोड पर ही वाहन खड़ी करते हैं. शहर में जिस हिसाब से वाहनों की संख्या बढ़ी है उस हिसाब से बस स्टैंड का भी विस्तार नहीं हो रहा है.
गुम हुआ पुराना आदेश . वर्षों पूर्व रोड किनारे वाहन खड़ी करने वालों के विरूद्ध कड़ा आदेश जारी किया था. उसमें पीच रोड से 50 फीट के अंदर वाहन खड़ी करने वालों के उपर अर्थदंड लगाने का प्रावधान था. इसकी देखरेख के लिए पोषक क्षेत्र के थानाध्यक्षों को जवाबदेही दी गयी थी. इस आदेश का पालन कुछ दिनों तक हुआ भी लेकिन धीरे-धीरे खत्म हो गया.