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हर माह 630 मरीजों के निवाले को डकार जाता है अस्पताल प्रशासन
पूर्णिया : यह बात दीगर सत्य है कि इस कलियुग गिद्ध के मांस गिद्ध खाने को आमादा है.अब तो दौर यहां तक पहुंच चुका है कि अब इंसान भी इंसान के मांस को खाने से नहीं हिचक रहे है. अब तो आलम यह है कि मरीजों के भगवान माने जाने वाले डॉक्टर भी शुल्क के […]
पूर्णिया : यह बात दीगर सत्य है कि इस कलियुग गिद्ध के मांस गिद्ध खाने को आमादा है.अब तो दौर यहां तक पहुंच चुका है कि अब इंसान भी इंसान के मांस को खाने से नहीं हिचक रहे है. अब तो आलम यह है कि मरीजों के भगवान माने जाने वाले डॉक्टर भी शुल्क के साथ-साथ उसके हिस्से की रोटी तक छीन कर खा रहे हैं. यह खेल जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में खुले आम चल रहा है.
अकेले सदर अस्पताल में हर माह 630 गरीब मरीजों के निवाले को अस्पताल प्रशासन डकार जाते हैं. इस डाइट का कीमत लगभग 42,210 रुपये माना जा रहा है. यही कारण है कि चाहने के बावजूद भी गरीबों को अस्पतालों में गुणवत्तायूक्त भोजन नहीं मिल पाता है. लिहाजा बीमार और बीमार होते चले जा रहे हैं और बाबुओं के चेहरे सुर्ख होते जा रहे हैं.
ऐसे निगलते हैं मरीजों के डाइट
सदर अस्पताल में रोजाना अमूमन 350 मरीजों का भोजन तैयार होता है. इस प्रकार एक माह में लगभग 10, 500 लोगों का भोजन तैयार होता है. भोजन सेवा प्रदाता एजेंसियों की मानें तो प्रति डाइट 5 से 6 फीसदी बाबुओं के हिस्से मेन चला जाता है. इस प्रकार हर माह लगभग 630 मरीजों के पेट में सेंधमारी की जाती है जिससे गरीब मरीजों के डाइट के 42 हजार 210 रुपये अस्पताल के बाबू अपने पेट में डाल लेते है. जानकार बताते हैं कि गरीब मरीजों के पेट में सेंधमारी का सिलसिला वर्षों से चल रहा है. यही कारण है कि जिससे एक बार सेवा ले लिया जाता है, उसे किसी न किसी बहाने निविदा से हटा दिया जाता है.
नहीं होता है मेन्यू का पालन
विभागीय मेन्यू के अनुसार, सुबह के नास्ते में छह पीस वटरयुक्त ब्रेड के साथ दो सौ ग्राम दूध, एक अंडा, दोपहर के भोजन में दो सौ ग्राम चावल, दाल, मिक्स सब्जी,भूजिया, सलाद व दही, शाम को चाय-बिस्किट और रात के भोजन में रोटी पांच पीस, दाल, मिक्स सब्जी देने का प्रावधान है. साथ ही सप्ताह में तीन दिन नॉन वेज भी देने का प्रावधान है. लेकिन प्रति डाइट के छह प्रतिशत राशि कमीशन में चले जाने के बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी मेन्यू के पालन काफी मुश्किल हो रहा है.
यही कारण है कि नास्ते से कभी दूध तो कभी अंडा गायब हो जाता है,जबकि वटर युक्त ब्रेड की जगह बटर मार्का ब्रेड वितरण कर मरीजों को चकमा दिये जाने का काम किया जाता है.आउटसोर्सिंग एजेंसी के कर्मियों की मानें तो उनका कहना है कि हजारों रुपये बतौर कमीशन देते हैं तो कहां से मेन्यू का पालन करें.
कैंटिन बहाली में भी धांधली
सदर अस्पताल का विवादों से नाता काफी पुराना रहा है. इसी श्रृंखला में अस्पताल प्रशासन ने तमाम विभागीय नियम कायदों को धता बताते हुए ओपीडी के खुलने वाली कैंटिन के लिए निकाली गयी निविदा खुद की मनमर्जी से अपने चहेते व्यक्ति को देने का आरोप लगना शुरु हो गया है. विभागीय निर्देशों के अनुसार निविदा तभी खुलना चाहिए,जब कम से कम तीन निविदा दाताओं के निविदा पत्र जमा हो. लेकिन विभाग के पास एक ही निविदा पहुंचा.जबकि दूसरा निविदा निर्धारित तिथि समाप्त होने के बाद अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में पहुंचा.
आरोप है कि विभाग ने इन निविदा को स्वयं अपनी मनमर्जी खोल कर किसी खास निविदादाता को कैंटिन खोलने का आदेश दे दिया. दूसरे निविदादाता सत्यजीत कुमार का कहना है कि बिना किसी सूचना व बिना किसी अहर्ता को पूरा किये किसी खास व्यक्ति को कैंटिन कैसे दिया जा सकता है. यहां गौरतलब है कि यह निविदा रोगी कल्याण समिति की ओर से निकाली गयी थी,जिसकी जानकारी किसी भी समिति के सदस्य के पास नहीं है.
कहते हैं अधिकारी
डाइट में कमीशन लेने संबंधित किसी मामले की जानकारी नहीं है. इसका पता करते है, यदि इसमें सच्चाई पायी गयी तो दोषियों पर कार्रवाई होगी. जहां तक बात ओपीडी के आगे बनने वाली कैंटिन का सवाल है, इसकी विषय वस्तु की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.
डॉ के.एम पूर्वे, सिविल सर्जन, पूर्णिया
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