13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्वास्थ्य नगरी में बिचौलियों की बल्ले-बल्ले, मरीजों का शोषण

पूर्णिया : जिला मुख्यालय पूरे कोसी और सीमांचल में स्वास्थ्य नगरी के रूप में प्रचलित है. इतना ही नहीं नेपाल और सटे पश्चिम बंगाल के मरीज भी इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं. यही वजह है कि लाइन बाजार में निजी क्लिनिक और नर्सिंग होम की संख्या में हर रोज इजाफा हो रहा है. खास […]

पूर्णिया : जिला मुख्यालय पूरे कोसी और सीमांचल में स्वास्थ्य नगरी के रूप में प्रचलित है. इतना ही नहीं नेपाल और सटे पश्चिम बंगाल के मरीज भी इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं. यही वजह है कि लाइन बाजार में निजी क्लिनिक और नर्सिंग होम की संख्या में हर रोज इजाफा हो रहा है. खास बात यह है कि लगातार यहां पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा होता रहा है.

बहरहाल मोटे अनुमान के अनुसार तीन दर्जन से अधिक नर्सिंग होम और अस्पताल यहां संचालित हो रहे हैं जबकि निजी क्लिनिक की संख्या दो सौ से अधिक होगी. दूसरी तरफ यह स्याह सच है कि जिस तरह पूर्णिया में डॉक्टरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है उसी तरह शहर में बिचौलिये भी लगातार अपना जाल फैलाने में सफल रहे हैं. कई चिकित्सकों की दुकानदारी इन्हीं बिचौलिये के रहमोकरम पर चल रही है और बिचौलिया आउटसोर्सिंग का मजबूत जरिया माना जा रहा है. दूसरी तरफ बिचौलिये की वजह से मरीजों का आर्थिक शोषण होता है.

गांव तक फैला है नेटवर्क
शहर में संचालित निजी अस्पताल और निजी क्लिनिक के प्रबंधक ने अपने कारोबार को फलने और फुलाने के लिए शहर से लेकर गांव तक बिचौलिये का जाल फैला रखा है. वस्तुत: ये लोग इनके कमीशन एजेंट होते हैं. गांव के झोलाछाप डॉक्टर बिचौलिये के नेटवर्क की सबसे अहम कड़ी होते हैं. हर कोई जानता है कि झोलाछाप डॉक्टर की अपने इलाके में गहरी पैठ होती है. वजह यह होती है कि मुश्किल के क्षणों में सबसे पहले झोलाछाप डॉक्टर ही मरीजों तक पहुंचता है. ऐसे में ग्रामीण इलाके के लोग आसानी से इन बिचौलिये के झांसे में आ जाते हैं. बिचौलिये मरीज को अपने डॉक्टर तक पहुंचाते हैं और अपना कमीशन प्राप्त करता है. सर्जरी के मामले में बिचौलिये को अच्छी खासी रकम की प्राप्ति होती है.
ग्रामीण मरीज बिचौलिये पर करते हैं भरोसा
बिचौलिये मरीजों को न केवल निजी अस्पताल और क्लिनिक तक पहुंचाते हैं बल्कि इलाज की प्रक्रिया पूरी होने तक मरीज के साथ साये की तरह मौजूद रहते हैं. अमूमन हर डॉक्टर विभिन्न तरह की पैथोलॉजी जांच लिखता है. ग्रामीण परिवेश से आये मरीज जांच के मामले में भी बिचौलिये पर ही आश्रित रहते हैं. यहां खास बात यह है कि चूंकि डॉक्टर साहब का पैथोलॉजी से भी पहले से सेटिंग रहता है, लिहाजा बिचौलिये भी उसी जांच केंद्र तक मरीज को ले जाता है. पैथोलॉजी जांच में ली गयी राशि का 30 से 50 फीसदी तक डॉक्टर को बतौर कमीशन हिस्सा देता ही है, बिचौलिये को भी 5 फीसदी कमीशन हासिल होता है. इस प्रकार एक साथ क्लिनिक और अस्पताल संचालक तथा पैथोलॉजी दोनों गुलजार रहता है.
कई जगहों पर खास पूछ
अधिकांश चिकित्सक बिचौलिये की सेवा लेते हैं. खास कर प्रैक्टिस कैरियर के शुरुआती दिनों में बिचौलिये की सेवा लेना आवश्यक आर्हता मानी जाती है. कुछ ही ऐसे चिकित्सक हैं जो काफी ऊंचाई हासिल कर चुके हैं और उन्हें बिचौलिये की सेवा लेने की जरूरत नहीं है. सर्जरी से जुड़े चिकित्सक सबसे अधिक बिचौलिये की सेवा लेते हैं. जानकारों की माने तो किसी चिकित्सक के यहां लगने वाली भीड़ केवल उनके ज्ञानी होने का सर्टिफिकेट नहीं होता है बल्कि उसमें आउटसोर्सिंग मैनेजमेंट महत्वपूर्ण होता है. फर्श से अर्श पर पहुंचने वाले कई नामी गिरामी डॉक्टर की सफलता का राज आउटसोर्सिंग ही है.
बंद से बचने के लिए एयर पिस्टल का दिखाया भय
शराबी व गंजेड़ियों का अड्डा बन रहा स्टैंड, न जाने कब दूर होगी बदहाली
दबंगों ने महादलितों के घर की गोलीबारी
गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की दी धमकी
शंकरपुर के बेहरारी पंचायत स्थित कल्लहुआ महादलित टोले की घटना

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें