पूर्णिया : पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र समेत प्रमंडलीय मुख्यालय में हर महीने शुद्ध पेयजल के नाम पर करोड़ों का पानी शहर के लोग गटक जाते हैं. गुणवत्ता की परवाह किये बगैर लोग अंधाधुंध पानी का प्रयोग कर रहे हैं और अपनी सेहत से खेल रहे हैं. अब जब गर्मी का मौसम सामने है तो इसकी बिक्री भी भारी मात्रा में होने की संभावना है. इस तरह के पानी की गुणवत्ता जांच के लिए विभाग सुस्त है.
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हर महीने 15 करोड़ के जार व बोतल बंद पानी गटक जाते हैं पूर्णियावासी
पूर्णिया : पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र समेत प्रमंडलीय मुख्यालय में हर महीने शुद्ध पेयजल के नाम पर करोड़ों का पानी शहर के लोग गटक जाते हैं. गुणवत्ता की परवाह किये बगैर लोग अंधाधुंध पानी का प्रयोग कर रहे हैं और अपनी सेहत से खेल रहे हैं. अब जब गर्मी का मौसम सामने है तो इसकी […]
एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन विभिन्न ब्रांड की तकरीबन डेढ़ लाख (20 लीटर पानी का जार )और एक लाख से अधिक सील बंद पानी का बोतल शहर में बिकती है. जिसकी शुद्धता एवं गुणवत्ता की जांच भगवान भरोसे है. यही वजह है कि भूगर्भ जलस्रोत का दोहन कर पानी के चोखे धंधे में तकरीबन एक सौ से अधिक ब्रांड बोतलबंद पानी बाजार में उपलब्ध है. जिसका इस्तेमाल आम आदमी अपनी जेब ढीली कर स्वस्थ रहने के लिये कर रहा हैं,
लेकिन विडंबना यह है कि यह सब खुलेआम दिन के उजाले में हो रहा है और इसकी जांच के लिये किसी तरह का कोई प्रयास जिले में नहीं हो रहा है. अलबत्ता इस कारोबार में अब बंगाल के कई ब्रांड भी शामिल हो गये हैं और सीलबंद पानी का बोतल बड़े पैमाने पर बंगाल से लाकर शहर में हर रोज खपा रहे हैं. बोतल बंद पानी सिर्फ ब्रांड के नाम पर बिक रहा है.
पानी के धंधे ने लिया उद्योग का रूप. पूर्णिया के पानी में आर्सेनिक, आयरन, कोलोराइट वगैरह की मात्रा होने की चर्चा आम है. प्रशासन और विभाग की चुप्पी की वजह से ही यह धंधा अब एक उद्योग का रूप ले चुका है. हालांकि जिला स्तरीय पेयजल जांच प्रयोगशाला जिले में है. जिसकी ऐसे सप्लाई होने वाली पानी की जांच में कहीं कोई दिलचस्पी नहीं दिखती.
बंगाल से आती है लाखों बोतल पानी, टैक्स को लग रहा चूना. बोतल बंद पानी के कारोबार में बंगाल के कारोबारियों का भी जलवा कम नहीं है. दरअसल बोतल बंद पानी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू है. वहीं आम आदमी को शुद्ध पेयजल के नाम पर परोसे जाने वाले जार और बोतल बंद पानी की जांच नहीं होने से यह कारोबार हर रोज बढ़ रहा है. जानकार बताते हैं कि प्रति दिन शहर में बंगाल से करीब दो लाख बोतल पानी आता है. जो शहर में पांच से छह रुपये में थोक बेचा जाता है.
जिसकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है. लोग बताते हैं कि कई पानी बनाने वाली फैक्ट्रियों में रजिस्टर्ड और बड़े ब्रांडों के बोतल में लोकल पानी भरकर भी बाजार में उतारा जा रहा है. जिसमें टैक्स की चोरी के साथ-साथ मोटी कमाई भी हो रही है.
रोजाना बिक जाता है 30 लाख का जार
पानी के इस धंधे से जुड़े एक शख्स ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि शहरी क्षेत्र में प्रति दिन करीब डेढ़ लाख लोग बीस लीटर पानी का जार दुकानों और घरों में लेते हैं. जिसकी कीमत 20 से पच्चीस रुपये है. जिसकी अमूमन कीमत करीब तीस लाख होती है. वहीं यात्रियों, लॉज में रह रहे छात्र अधिकारियों और पार्टी फंक्शन के अलावे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड इत्यादि जगहों पर प्यास लगने पर लोग शुद्ध पेयजल के नाम पर पीने के लिये बोतल बंद पानी खरीदते हैं. आज ये बोतलें धीरे धीरे एक स्टेटस सिंबल भी बनता जा रहा है. बताया गया कि तकरीबन एक लाख से अधिक सील बैंड पानी की बोतल प्रति दिन शहर में बिकती है. प्रति बोतल 20 रुपये के हिसाब से इसमें बीस लाख के आस पास की राशि खपत होती है. यानी कुल मिलाकर डेढ़ करोड़ का पानी का कारोबार शहर में हर रोज होता है.
नहीं होती है गुणवत्ता की जांच
पूर्णिया के पानी में आयरन एवं कोलोराइट सहित कई अन्य पदार्थ मिले हुए हैं. यही वजह है कि यहां अधिकांश लोग फिल्टर पानी पीने के लिये मोटी रकम खर्च कर स्वस्थ रहना चाहते हैं. स्थिति यह है कि दुकानों और घरों में भी लोग फिल्टर पानी का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. लेकिन शुद्ध पेयजल के नाम पर जिस तरह शहर में पानी का कारोबार रफ्तार पकड़ चुका है. उस आपाधापी में पानी की शुद्धता जार वाली पानी से लेकर बोतल बंद पानी जो बंगाल और स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है
भगवान भरोसे है. यह कारोबार लाखों लोगों और परिवारों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहा है. इस कारोबार पर संबंधित विभाग और जांच एजेंसी का कोई लगाम नहीं है. महज एक रजिस्ट्रेशन पेपर और फिल्टर मशीन के भरोसे यह कारोबार जिले में खूब फलफूल रहा है.
लाइसेंस नहीं होगी तो कार्रवाई तय
ऐसी कोई शिकायत नहीं आयी है. शिकायत आने एवं पानी का सेंपल उपलब्ध कराने पर जांच हो सकती है. अगर कोई बगैर लाइसेंस के पानी सप्लाइ कर रहा है तो उसपर कार्रवाई की जायेगी.
प्रदीप कुमार झा, डीएम, पूर्णिया
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