सदर अस्पताल. संसाधनों के रखरखाव में उदासीनता
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अधिकतर सिलिंडर का मीटर खराब, अंदाज से होता है काम
सदर अस्पताल. संसाधनों के रखरखाव में उदासीनता पूर्णिया : दो दिन पूर्व ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत के मामले के बाद जब प्रभात खबर की टीम ने अस्पताल परिसर का जायजा लिया तो कई चौंकानेवाले खुलासे हुए. अस्पताल में रखे अधिकांश ऑक्सीजन सिलिंडर में लगा मीटर खराब है. मीटर खराब होने के कारण यह […]
पूर्णिया : दो दिन पूर्व ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत के मामले के बाद जब प्रभात खबर की टीम ने अस्पताल परिसर का जायजा लिया तो कई चौंकानेवाले खुलासे हुए. अस्पताल में रखे अधिकांश ऑक्सीजन सिलिंडर में लगा मीटर खराब है. मीटर खराब होने के कारण यह पता नहीं चल पाता है सिलिंडर में कितना ऑक्सीजन बाकी है.
सीमांचल की उम्मीद सदर अस्पताल कहलाता है. महज दो रुपये के ओपीडी शुल्क पर यहां मरीजों का इलाज होता है. जाहिर है कि यहां गरीब मरीजों की भीड़ जुटती है. आसपास के जिले के अस्पताल की तुलना में यहां संसाधन भी बेहतर उपलब्ध है. लेकिन संसाधन के सदुपयोग की कमी और रखरखाव में उदासीनता की वजह से यहां सब कुछ ईश्वर के रहमोकरम पर निर्भर है.
यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि मरीज के उपचार के दौरान ही ऑक्सीजन का सिलिंडर समाप्त हो जाता है और मरीज दम तोड़ देता है. यह अलग बात है कि सिविल सर्जन मानते हैं कि ऑक्सीजन कोई इलाज नहीं है, यह एक सपोर्टिंग सिस्टम है.
कहते हैं सीएस . सिविल सर्जन डॉ एमएम वसीम ने कहा कि अस्पताल में उपलब्ध ऑक्सीजन मापक मीटर खराब नहीं होता है. यहां जितने भी ऑक्सीजन मीटर हैं, सभी मीटर ठीक-ठाक अवस्था में हैं. किसी प्रकार की समस्या नहीं हो, इसके लिए खाली सिलिंडर को अलग रखा जाता है.
दो दिन पहले भी हुआ है हंगामा, पर सुधार नहीं
सदर अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए सरकार ने नि:शुल्क ऑक्सीजन सेवा प्रदान किया है. अस्पताल में हमेशा 10 से 15 भर्ती सिलिंडर उपलब्ध रहता है. बावजूद ऑक्सीजन को लेकर दो दिन पहले जो हंगामा हुआ है, व्यवस्था पर बड़ा सवाल है. सिलिंडर में ऑक्सीजन है या नहीं, इसकी पहचान सिलिंडर में लगे मीटर से ही संभव है. प्रभात खबर की टीम ने जब मंगलवार को ऑक्सीजन सिलिंडर में लगे मीटर की पड़ताल की तो अस्पताल के स्टॉक में रखा अधिकांश मीटर खराब पाया गया.
अस्पताल के एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अधिकांश मीटर खराब है. इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधक को दी गयी है, लेकिन सुनवाई नदारद है. सूत्रों ने बताया कि मीटर खराब होने की वजह से यह पता नहीं चल पाता है सिलिंडर में कितना ऑक्सीजन बाकी है. अनुमान पर ही मरीज को ऑक्सीजन लगा दिया जाता है, जो जानलेवा साबित होता है.
पानी में पाइप लगा चेक किया जाता है ऑक्सीजन
चिकित्सा विज्ञान में नित्य नये प्रयोग हो रहे हैं और चिकित्सा विज्ञान सतत प्रगति पथ पर अग्रसर है. लेकिन सदर अस्पताल की व्यवस्था आज भी आदिम युगीन व्यवस्था की पैरोकार बनी हुई है. सदर अस्पताल का ऑक्सीजन सिलिंडर में लगा ऑक्सीजन मापक यंत्र खराब होने से अस्पताल कर्मी ऑक्सीजन को खोल कर पहले उसके पाइप को एक बर्तन में रखे पानी में डुबाता है और जब पानी में बुलबला छोड़ने लगता है तो माना जाता है कि सिलिंडर में ऑक्सीजन उपलब्ध है.
लेकिन समस्या यह है कि इस विधि से यह पता नहीं चलता है कि सिलिंडर में ऑक्सीजन की मात्रा कितनी है. जाहिर है कि बाबा आदम के जमाने के इस बुलबुला टेस्ट की वजह से ही किसी मरीज की मौत हो सकती है और बाद में सिविल सर्जन को प्रेसवार्ता कर सफाई देनी पड़ सकती है.
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