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रबी की बुआई तेज, मक्का बीज के लिए किसान परेशान

िकसानों को नहीं िमल रहा मनोनुकूल बीज, बढ़ रही खेती की चिंता सरकारी बीज से ज्यादा निजी कंपनी के बीज पर भरोसा करते हैं िकसान पूर्णिया : सीमांचल में पूर्णिया में किसानों के लिए महापर्व के रूप में की जाने वाली रबी की खेती के लिए बुआई तेज हो गयी है. इसमें नकदी फसल के […]

िकसानों को नहीं िमल रहा मनोनुकूल बीज, बढ़ रही खेती की चिंता
सरकारी बीज से ज्यादा निजी कंपनी के बीज पर भरोसा करते हैं िकसान
पूर्णिया : सीमांचल में पूर्णिया में किसानों के लिए महापर्व के रूप में की जाने वाली रबी की खेती के लिए बुआई तेज हो गयी है. इसमें नकदी फसल के लिए खासकर मक्का की खेती बीज के अभाव में प्रभावित हो रही है. हालांकि इस मौसम में सिर्फ मक्का की ही खेती नहीं होती, बल्कि गेहूं एवं दलहन की भी खेती होती है. लेकिन मक्का की खेती किसानों की अर्थव्यवस्था व्यवस्था का आधार होता है.
दरअसल किसानों के लिए सरकारी बीज उपलब्ध होने के बावजूद भी किल्लत होने का कारण किसानों की पसंद है. किसान सरकारी बीज से ज्यादा निजी कंपनी के बीज पर भरोसा करते हैं. निजी कंपनियां काफी ज्यादा ग्लैमर के साथ किसानों के खेतों तक जा रही हैं. उनके साथ खेती करने के व्यावहारिक तरीकों को बताने जा रही है. इसके विपरीत सरकारी किसान सलाहकार अथवा प्रखंड स्तर के अधिकारी किसानों के खेत नहीं पहुंच रहे हैं. कहा जा रहा है कि यदि प्रखंडों एवं पंचायतों में काम करने वाने किसान सलाहकार अथवा अन्य कर्मी किसानों को सरकारी बीज का महत्व समझाने में सफल होते तो बीज की किल्लत और कुछ निजी कंपनियों की मोनोपोली नहीं होती.
बीज की कालाबाजारी : किसानों की मांग के अनुसार एक निजी कंपनी के बीज की बनावटी तौर पर किल्लत कर दी गयी है. ऐन वक्त पर बीज की किल्लत भी शुरू है. जबकि कहा जा रहा है कि मार्केट में कई नयी कंपनियां भी होड़ में खड़ी हैं. लेकिन किसानों के पसंद के मापदंड में वह भी नहीं आ रहा है. इससे जिस बीज के लिए किसान परेशान रहते हैं उसकी ही कालाबाजारी होती है. इसमें कुछ बीज वितरकों की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है.
हालांकि विभाग ऐसे बीज विक्रेताओं पर शिकंजा कस रही है.दलहन पर ध्यान नहीं : पूर्णिया जिले के चार प्रखंडों को टाल दीयरा क्षेत्र की श्रेणी में चुना गया है. वहां बड़े पैमाने पर दलहन की खेती लगाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों को प्रोत्साहित करना शुरू किया है मगर किसान मक्का के लिए ही पूरी ताकत लगा रहे हैं. जबकि दलहन की खेती में खर्च भी कम होती है और सरकार अनुदान भी दे रही है.
दे दी गयी है िहदायत
किसी भी सूरत में कालाबाजारी पनपने नहीं दी जायेगी. सभी वितरकों एवं विक्रेताओं को हिदायत दे दी गयी है. अंकित मूल्य से ज्यादा कीमत लेने की शिकायत होने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. निजी कंपनी के आपूर्ति जानकारी एवं स्टॉक की अद्यतन स्थिति से भी मुख्यालय को अवगत कराने कहा गया है.
सुरेंद्र प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी,

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