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सौरा नदी काली मंिदर से ले हटिया तक की बेच दी जमीन

फर्जीवाड़ा. सैकड़ों एकड़ सरकारी भूिम बेच रहे भू माफिया पूर्णिया : खुश्कीबाग हाट में बड़े पैमाने पर भू माफियाओं द्वारा फर्जीवाड़ा कर सरकारी जमीन को ओने-पौने दाम में बेचा जा रहा है. खुश्कीबाग वार्ड संख्या 41, खाता संख्या 889, खेसरा संख्या 1196 तथा 1463 का सौरा नदी पुराना काली मंदिर से लेकर हटिया तक विभिन्न […]

फर्जीवाड़ा. सैकड़ों एकड़ सरकारी भूिम बेच रहे भू माफिया

पूर्णिया : खुश्कीबाग हाट में बड़े पैमाने पर भू माफियाओं द्वारा फर्जीवाड़ा कर सरकारी जमीन को ओने-पौने दाम में बेचा जा रहा है. खुश्कीबाग वार्ड संख्या 41, खाता संख्या 889, खेसरा संख्या 1196 तथा 1463 का सौरा नदी पुराना काली मंदिर से लेकर हटिया तक विभिन्न खेसरा संख्या में बिहार सरकार की सैकड़ों एकड़ जमीन है. जिसे भू माफियाओं ने फर्जीवाड़ा कर बेच

दी है.

खुश्कीबाग हाट भी खाता संख्या 889 के तहत आता है, कहने के लिए तो हाट छह बीघा में बताया जाता है लेकिन हकीकत कुछ और ही है. हाट का क्षेत्रफल सिमट कर मुश्किल से एक बीघा में रह गया है. बांकी पांच बीघा जमीन अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. इन लोगों ने भी मुफ्त में जमीन नहीं लिया है. हाट की जमीन को पहले तो भू माफियाओं ने कब्जा किया फिर जमीन को टुकड़ों में बांट कर बेच दिया गया. सरकारी जमीन सस्ते दामों में बिकने से लोगों ने भी खरीदने में जल्दबाजी दिखायी. अतिक्रमण के कारण हाट की स्थिति यह है कि हाट में जाने का रास्ता तक ठीक से उपलब्ध नहीं है. पूरे हाट की दुकान पूरी तरह अस्त-व्यस्त है.

ऐसे तैयार होते हैं सरकारी जमीन के कागजात : खुश्कीबाग खाता संख्या 889 का सरकारी जमीन पूरी प्लानिंग के साथ बेची जा रही है. भू माफिया ने सरकारी जमीन को हड़पने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाया है. माफिया पहले सरकारी जमीन को चिह्नित करता है फिर जमीन के चारों तरफ से घेराबंदी करता है. उसके बाद जमीन की चौहद्दी दिखाकर एग्रीमेंट कर लिया जाता है और फिर ग्राहक की खोज शुरू होती है. खरीदार को यह पता नहीं होता है जिस जमीन को खरीदा है वह सरकारी जमीन है, भू माफिया फिर सरकारी कार्यालय का चक्कर लगाते हैं और अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से जमीन का रसीद कटवा लिया जाता है. लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में अब भी वह जमीन सरकारी जमीन के नाम से दर्ज है. यही नहीं राजस्व कर्मचारी के मिलीभगत से कई रिकॉर्ड भी गायब हो चुका है. यह सिलसिला वर्षों से चलता आ रहा है

करोड़ों अरबों का है जमीन फर्जीवाड़े का मामला : खुश्कीबाग जमीन फर्जी मामले में बड़े-बड़े सफेदपोश और सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं. यदि खुश्कीबाग सरकारी जमीन फर्जीवाड़ा मामले की निष्पक्ष जांच करायी जाय तो बड़ा खुलासा हो सकता है. खुश्कीबाग मिलनपाड़ा निवासी अशोक ठाकुर ने जिले के अधिकारियों को इस बाबत आवेदन देकर कार्रवाई का आग्रह किया है लेकिन कार्रवाई सिफर रही है.

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