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फर्जी पैथोलॉजी पर अब तक की कार्रवाई सिफर

पूर्णिया : लाइन बाजार क्षेत्र का सबसे बड़ा हब माना जाता है. यहां 500 की संख्या में पैथोलॉजी सेंटर, 1300 डॉक्टरों का क्लिनिक और 100 की संख्या में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित है. जिसमें 30 की संख्या में मात्र पैथोलॉजी स्वास्थ्य विभाग में निबंधित है. संचालित पैथोलॉजियों में ज्यादातर पैथोलॉजी बिना निबंधित मानकविहीन स्थिति में संचालित […]

पूर्णिया : लाइन बाजार क्षेत्र का सबसे बड़ा हब माना जाता है. यहां 500 की संख्या में पैथोलॉजी सेंटर, 1300 डॉक्टरों का क्लिनिक और 100 की संख्या में अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित है. जिसमें 30 की संख्या में मात्र पैथोलॉजी स्वास्थ्य विभाग में निबंधित है. संचालित पैथोलॉजियों में ज्यादातर पैथोलॉजी बिना निबंधित मानकविहीन स्थिति में संचालित है.

इन फर्जी व मानकविहीन पैथोलॉजियों पर स्वास्थ्य विभाग ने टीम गठित कर वर्ष 2006, 2011, 2014, 2016, 2017 में छापेमारी भी की. छापेमारी के बाद मानकविहीन और फर्जी पाये गये सेंटरों के उपर केहाट थाना में प्राथमिकी भी दर्ज हुआ, लेकिन प्राथमिकी थाना के फाइल में ही दफन हो गया है. सूत्र बताते हैं कि हर बार छापेमारी के बाद विभाग कड़ा रूख अपनाता है. दोषी पाये गये सेंटरों के उपर प्राथमिकी दर्ज कर फिर भूल जाता है. थाना ने दोषियों के उपर कार्रवाई किया या नहीं
इसका खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है. सूत्र बताते हैं कि अब तक दोषी सेंटरों के उपर कार्रवाई नहीं होने के कारण विभाग द्वारा साक्ष्य को नहीं जुटा पाना, साक्ष्य के अभाव में अनुसंधानकर्ता पुलिस भी हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाता है, जिसका प्रत्यक्ष फायदा फर्जी सेंटरों को मिल जाता है और सेंटर संचालक जगह और नाम बदल कर फिर से मौत की दुकान चलाने लगते हैं.
यहां तक कि 2017 जुलाई 25 तारीख को जिला पदाधिकारी पंकज कुमार पाल के आदेश पर लाइन बाजार में मानकविहीन 54 पैथोलॉजियों के उपर छापेमारी हुई थी, जिसमें 23 सेंटर को फर्जी पाया गया और सीएस ने कार्रवाई के लिए अनुशंसा भी किया, लेकिन मजे की बात यह है कि एक महीना 10 दिन बीत जाने के बाद भी फाइल ठंडे बस्ते में है.
प्रशासनिक उदासीनता के कारण बढ़ती जा रही है फर्जी पैथोलॉजियों की संख्या : लाइन बाजार में और जिले के प्रखंडों में प्रशासनिक उदासीनता के कारण फर्जी पैथोलॉजी और डॉक्टरों की संख्या बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन दिखावा के लिए मानकविहीन पैथोलॉजियों के उपर छापेमारी कर तो देती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से फर्जी पैथोलॉजियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. यहां तक कि जिले के प्रखंड मुख्यालयों में स्थित सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र के आसपास भी कुकुरमुत्ते की तरह फर्जी पैथोलॉजी की भरमार है. प्रखंड में संचालित मानकविहीन पैथोलॉजी ग्रामीणों का जेब काटने के साथ लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
कार्रवाई सिर्फ पैथोलॉजी सेंटर के ऊपर ही होती है
लाइन बाजार में अब तक करीब छह बार छापेमारी हो चुकी है. हर बार सिर्फ पैथोलॉजी सेंटर का ही नाम आता है. मामला भी सेंटर के उपर ही दर्ज होता है. सेंटर संचालक का नाम नहीं दिया जाता है. जबकि सेंटर संचालक और उनके कर्मियों के उपर कार्रवाई करने की जरूरत है. सेंटर संचालक इस बात का प्रत्यक्ष रूप से फायदा उठा कर सेंटर का नाम बदल कर फिर से अपना धंधा चलाने लगता है. सूत्र बताते हैं कि सेंटर बड़े-बड़े सफेदपोशी चलाता है या फिर उसके संरक्षण में चलता है. जांच दल से सेंटर संचालक का नाम भी लिख लेता है, लेकिन व्यक्ति का नाम फाइल तक नहीं पहुंच पाती है.
सेंटर संचालक अपना जान बचाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाने लगते हैं और विभाग के अधिकारी फर्जी सेंटर संचालक के उपर मामला दर्ज करने से पहले ही नतमस्तक हो जाता है. साफ शब्दों में कहा जाये तो अधिकारी और सेंटर संचालक आपस में महागठबंधन करके सिर्फ खानापूर्ति कर दिया जाता है. यह महागठबंधन का खेल वर्ष 2006 से ही निरंतर चलता आ रहा है. विभाग सेंटरों पर छापेमारी कर अपना वाहवाही लूटता है. वहां मौत के दुकान चलाने वाले फर्जी पैथोलॉजी संचालक आमलोगों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर जेब भी लूटने में मस्त हो जाते हैं.

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