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382 भिक्षुक किये गये चिह्नित 196 को किया गया पुनर्वासित

महिला के लिए शांति, पुरुष को सेवा कुटीर शांति कुटीर में हैं 70 की संख्या में महिला भिक्षुक सेवा कुटीर में 52 की संख्या में हैं पुरुष भिक्षुक पूर्णिया : पूर्णिया के ग्रामीण एवं शहरी इलाके की सड़कों और चौक-चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या उत्तरोत्तर घटती जा रही है. अब यहां न तो […]

महिला के लिए शांति, पुरुष को सेवा कुटीर

शांति कुटीर में हैं 70 की संख्या में महिला भिक्षुक
सेवा कुटीर में 52 की संख्या में हैं पुरुष भिक्षुक
पूर्णिया : पूर्णिया के ग्रामीण एवं शहरी इलाके की सड़कों और चौक-चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या उत्तरोत्तर घटती जा रही है. अब यहां न तो महिला भिक्षुक ही दिखायी देते और न ही पुरुष भिक्षुक नजर आते हैं. बाल भिक्षावृत्ति भी अब कहीं नहीं दिखती. ऐसा नहीं कि भिक्षुकों को पूर्णिया से कहीं दूर भगा दिया गया है. सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति योजना अंतर्गत पूर्णिया में दो पुनर्वास केंद्र खोले गये हैं. इनमें महिला भिक्षुकों के लिए शांति कुटीर एवं पुरुष भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए सेवा कुटीर स्थापित किये गये हैं. अधिकांश भिक्षुक इन कुटीरों में भर्ती कराये गये हैं और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकारी प्रयास तेज कर दिया गया है.
सशक्तीकरण के होते हैं प्रयास : इन कुटीरों में भिक्षुकों एवं निराश्रितों के लिए बुनियादी सुविधाओं के अतिरिक्त काउंसेलिंग, जीविकोपार्जन पर प्रशिक्षण, कल्याणकारी योजनाओं के लाभ तक लाभार्थियों की पहुंच सुनिश्चित कर उनके सशक्तिकरण के प्रयास जारी हैं. भिक्षुकों को सामाजिक समावेशन तथा आर्थिक सशक्तिकरण हेतु रोजगारपरक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी है. इसके तहत चयनित लाभार्थियों को प्रशिक्षण के पश्चात रोजगार के अवसरों से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य शिविर तथा धन्वंतरी रथ की भी सुविधा मुहैया कराया जा रही है. खास बात यह है कि इन भिक्षुकों का अपना एक परिवार है, जहां परायेपन का दूर-दूर तक एहसास नहीं होता है.
जीने को सम्मान व संबल
सामाजिक सुरक्षा कोषांग की देखरेख में चल रही मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना का ही परिणाम है शहर में भिक्षुकों की संख्या लगभग समाप्त हो जाना. इन कुटीरों में भिक्षुकों को उनके अधिकार और पुनर्वास के संबंध में जागरूक कर मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है. इस योजना के डीपीएम इकबाल आसिफ ने बताया कि अब तक 190 से अधिक भिक्षुकों को इस योजना का लाभ दिलाया गया है. शेष भिक्षुकों को लाभान्वित कराने की प्रक्रिया चल रही है. शेष भिक्षुकों का पुनर्वास करवाया गया है. उन्होंने बताया कि संप्रति शांति कुटीर में 70 महिला भिक्षुक एवं सेवा कुटीर में 52 पुरुष भिक्षुक योजना का लाभ ले रहे हैं. श्री आसिफ ने कहा कि जिले के एक भी भिक्षुक अथवा निराश्रितों को किसी भी सूरत में अपमानित नहीं होने दिया जायेगा. उन्हें जीवन भर सम्मान के साथ जीने के लायक बनाया जायेगा. हाल फिलहाल भिक्षुकों को चिह्नित करने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जायेगी.
जिले में करीब 382 भिक्षुक चिह्नित किये गये हैं. इनमें 196 को पुनर्वासित कराया गया है. अभी दोनों पुनर्वास केंद्र से 122 भिक्षुक आवासन कर रहे हैं. उन्हें जीवनोपयोगी संसाधन उपलब्ध करा कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है. किसी भी हालत में भिक्षुकों को निराश्रित एवं अपमानित नहीं होने दिया जायेगा.
प्रदीप कुमार, सहायक निर्देशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, पूर्णिया

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