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नाटक में चुहरमन और रेशमा के प्यार को दर्शाया गया

प्रेमचंद रंगशाला में चल रहे प्रवीण स्मृति सम्मान व नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन नाटक नागरदोला का मंचन किया गया. यह नाटक रवींद्र भारती की लिखित, बिज्येंद्र कुमार टांक द्वारा निर्देशित है.रेशमा और चूहर आज के समाज में भी जीवित है.

नाटक में चुहरमन और रेशमा के प्यार को दर्शाया गया प्रेमचंद रंगशाला : प्रवीण स्मृति सम्मान व नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन नाटक ‘नागरदोला’ का हुआ मंचन पटना. प्रेमचंद रंगशाला में चल रहे प्रवीण स्मृति सम्मान व नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन नाटक नागरदोला का मंचन किया गया. यह नाटक रवींद्र भारती की लिखित, बिज्येंद्र कुमार टांक द्वारा निर्देशित है.रेशमा और चूहर आज के समाज में भी जीवित है. इस नाटक में रेशमा और चुहर को वर्तमान समय में देखने का प्रयास किया गया हैं. ठहरो, ठहरो, जरा ठहरो. लगता है चूहर ने दुर्गापुर के दंगल में बाजी मार ली. उसी की जयकार लोग कर रहे हैं. क्या, विरल संयोग है कि यह चूहडर भी वैसा ही नामवर मल्ल निकला. अब आप सोचते होंगे कि दूसरा चूहर और कौन सा मल्ल हुआ? वही चुहर, रेशमा जिसकी महबूबा थी. वह चूहर भी नामवर मल्ल था. आपको लगता होगा कि वह तो युगों पहले मारा गया। किसी ने मार दिया और वह मर गया, किसी ने जला दिया, वह जल गया, किसी ने दहा दिया, वह दह गया, किसी ने मिट्टी में दबा दिया, वह दब गया. नहीं, ऐसा नहीं है. प्रेम कभी नहीं मरता। बंदूक, तोप की क्या बिसात अटैम बम भी उसे नहीं मार सकता. प्रेम हर काल में जीवित रहा, और ये भी की उससे हर काल में मृत्यु देने की कोशिश की गयी.

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