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महादलित छात्रों को अंग्रेजी सिखाने के नाम पर घोटाला, आइएएस समेत 10 पर दर्ज हुआ FIR

राज्य में महादलित छात्रों को अंग्रेजी सीखाने के नाम पर भी लाखों का घोटाला हुआ है. इसमें स्पोकन इंग्लिश के संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के निदेशक डॉ. बीरबल झा के अलावा एससी-एसटी कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव एसएम राजू, तीन अन्य सेवानिवृत्त आइएएस (तत्कालीन मिशन निदेशक) तथा बिहार राज्य महादलित विकास मिशन के कई पदाधिकारियों के नाम सामने आये हैं.

पटना : राज्य में महादलित छात्रों को अंग्रेजी सीखाने के नाम पर भी लाखों का घोटाला हुआ है. इसमें स्पोकन इंग्लिश के संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के निदेशक डॉ. बीरबल झा के अलावा एससी-एसटी कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव एसएम राजू, तीन अन्य सेवानिवृत्त आइएएस (तत्कालीन मिशन निदेशक) तथा बिहार राज्य महादलित विकास मिशन के कई पदाधिकारियों के नाम सामने आये हैं.

निगरानी ब्यूरो की जांच में यह बात सामने आने के बाद आइएएस अधिकारी एसएम राजू समेत 10 लोगों को अभियुक्त बनाते हुए निगरानी थाने में बुधवार की देर शाम एफआइआर दर्ज की गयी है. एसएम राजू इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं. इसके पहले एससी-एसटी कल्याण विभाग में हुई महादलित छात्रवृत्ति घोटाला में भी आइएएस अधिकारी एसएम राजू को मुख्य आरोपित बनाया गया था. यह मामला अभी निगरानी में चल ही रहा है.

यह है घोटाला से जुड़ा पूरा मामला

महादलित छात्रों को स्पोकन इंग्लिस का प्रशिक्षण देने के लिए ब्रिटिश लिंग्वा नामक संस्थान से विभाग ने करार किया था. परंतु विभागीय सचिव और अधिकारियों ने संस्थान के साथ मिली-भगत करके 14 हजार 826 छात्रों के गलत नाम-पता और अन्य जानकारी के आधार पर सात करोड़ 30 लाख 13 हजार से ज्यादा सरकारी रुपये का गबन कर लिया है. जांच में यह पाया गया कि जिन छात्रों को अंग्रेजी सीखाने के नाम पर रुपये निकाले गये हैं, उनका नाम-पता गलत है और इनमें कई छात्रों का दाखिला दूसरे प्रशिक्षण कोर्स में भी है. बड़ी संख्या में छात्र एक ही समय, एक ही स्थान पर, एक से ज्यादा कोर्स को कर रहे थे.

जबकि हकीकत में यह संभव नहीं है. अंग्रेजी सीखने के समय में कोई छात्र दूसरा कोर्स कैसे कर सकता है. जांच में यह बात भी सामने आयी कि बड़ी संख्या में छात्रों के नाम पर सरकारी राशि की निकासी की गयी है, उनका नाम और पता तक सही नहीं है. रही है, जिसमें कुछ बदलाव कार्यहित में किया गया है. जबकि कुछ बदलाब एजेंसी के हित में किया गया है. इससे मिशन के पदाधिकारियों की गलत मंशा साफतौर पर दिखती है. एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए भी कई स्तर पर नियमों में जानबूझ कर बदलाव किये गये हैं. प्रशिक्षण एजेंसी ने छात्रों का जो गलत डाटा अपलोड किया, उसकी जांच भी किसी पदाधिकारी ने नहीं की और पेमेंट कर दिया गया.

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