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IIT में लागू होगा नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, कौशल के लिए पैदा होंगी नई संभावनाएं

यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि आइआइटी काउंसिल की 55वीं बैठक शामिल होने का मौका मिला. बैठक के दौरान नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को बारे में बताया गया. इसके बाद इसे लागू करने पर सभी आइआइटी ने सहमति जतायी है.

पटना. देश के सभी आइआइटी में नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू किया जायेगा. नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू करने पर आइआइटी काउंसिल की 55वीं बैठक में फैसला लिया गया है. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि आइआइटी काउंसिल की 55वीं बैठक शामिल होने का मौका मिला. बैठक के दौरान नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को बारे में बताया गया. इसके बाद इसे लागू करने पर सभी आइआइटी ने सहमति जतायी है.

कौशल और रोजगार के बीच की बाढ़ होगी दूर 

प्रो एम जगदीश कुमार ने बताया कि एनइपी 2020 ज्ञान, कौशल और रोजगार के बीच की बाधाओं को दूर करने के लिए क्रेडिट ढांचे के सार्वभौमिकरण की परिकल्पना करता है, सीखने और कौशल के रास्ते के बीच निर्बाध गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के सीखने के लिए एक क्रेडिट संचय और हस्तांतरण प्रणाली की स्थापना करता है. उच्च शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करके शिक्षा को अधिक समग्र और प्रभावी बनाने पर जोर देती है. एनसीआरएफ एक व्यापक ढांचा है जो अकादमिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक शिक्षा से सीखने के सहज एकीकरण को सक्षम बनाता है.

नेशनल क्रेडिट को लागू करने के लिए समिति गठित

एनसीआरएफ मूल्यांकन के अधीन, सभी सीखने और असाइनमेंट, संचय, भंडारण, हस्तांतरण और क्रेडिट प्रदान करता है. व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा के बीच एकेडमिक समानता स्थापित करता है. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) के माध्यम से उनके भीतर और उनके बीच और इसके संचालन में गतिशीलता को सक्षम बनाता है. नेशनल क्रेडिट को सही तरीके लागू करने के लिए भारत सरकार ने यूजीसी, एआइसीटीइ, एनसीवीइटी, एनआइओएस, सीबीएसइ, एनसीइआरटी, डीजीटी, शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास मंत्रालय के सदस्यों के साथ एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया.

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कौशल के लिए पैदा होंगी नई संभावनाएं 

एनसीआरएफ हमें ज्ञान और कौशल के लागू पहलुओं को पहचानने का अवसर प्रदान करेगा. यह आजीवन सीखने और कौशल के लिए नयी संभावनाएं भी पैदा करेगा. एनसीआरएफ प्रति व्यक्ति उत्पादकता को बढ़ावा देगा, सभी को सशक्त बनायेगा और इस शताब्दी का नेतृत्व करने के लिए भारत के लिए एक मजबूत नींव रखेगा. आबादी के एक बड़े हिस्से को औपचारिक शिक्षा और कौशल के दायरे में लाने, जीइआर लक्ष्यों को प्राप्त करने और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की गति को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण होगा.

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