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जिविका समूह से लोन लेकर किरण ने खरीदी गाय, अब घर-घर पहुंचा रही दूध

पटना जिले के फुलवारीशरीफ प्रखंड की रामपुर फरीदपुर पंचायत की किरण देवी की जिंदगी में जीविका समूह का बहुत बड़ा योगदान रहा है. एक ऐसा समय था, जब वह दाने-दाने को मोहताज हो गयी थीं, लेकिन आज उनका परिवार खुशहाल है.

जूही स्मिता, पटना : खराब परिस्थितियों में एक ऐसे सहारे की जरूरत होती है, जो आपको संभाल सके. बिहार में जीविका समूह ग्रामीण महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही योगदान कर रहे हैं. पटना जिले के फुलवारीशरीफ प्रखंड की रामपुर फरीदपुर पंचायत की किरण देवी की जिंदगी में जीविका समूह का बहुत बड़ा योगदान रहा है. एक ऐसा समय था, जब वह दाने-दाने को मोहताज हो गयी थीं, लेकिन आज उनका परिवार खुशहाल है. बच्चे स्कूल जा रहे हैं. जीविका समूह से जुड़ कर गाय पालन शुरू किया. उस वक्त लोन लेकर एक गाय खरीदी और आज उनकी खुद की तीन गायें हैं. आज न सिर्फ आसपास के लोग ताजा दूध लेने आते हैं, बल्कि वह उन्हें घर-घर पहुंचाने का काम भी कर रही हैं.

पति की कमाई से नहीं चलता था घर

मंहगूपुर गांव की किरण देवी की शादी साल 1990 में सुरेंदर पासवान से हुई थी. मजदूरी करने वाले किरण के पति की हर दिन की कमाई से घर चलता था. कभी तीन समय का खाना बनता तो कई बार एक समय का खाना खाकर पूरे परिवार को रहना होता था. जब तक पति-पत्नी थे तो किसी तरह से आजीविका इंतजाम हो जाता था, लेकिन तीन बच्चों के होने बाद उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब होने लगी. ऐसे में किरण को गांव की महिलाओं ने जीविका के बारे में बताया और इससे जुड़ने की सलाह दी.

जीविका से जुड़ लोगों को कर रहीं जागरूक

सामुदायिक समन्वयक संजु कुमारी बताती हैं कि किरण की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है. गायों से मिलने वाले दूध को वह सुबह और शाम लोगों के घर पहुंचाती हैं. वहीं, कुछ लोग उनके घर आकर दूध ले जाते हैं. ताजा दूध बेचने की वजह से कई लोग उनसे जुड़े और आज वह महीने में आठ से 10 हजार रुपयग कमा रही हैं. जीविका की ओर से आयोजित होने वाले जागरूकता अभियान में किरण बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं और महिलाओं को जागरूक करती हैं.

2014 में जीविका से जुड़ीं किरण

किरण बताती हैं कि जब मुझे जीविका की जानकारी मिली तो उस वक्त वहां की कम्युनिटी को-ऑर्डिनेटर अर्चना दीदी ने उन्हें लक्ष्मी जीविका स्वयं सहायता समूह से जोड़ा और जीविका समूह की ओर से चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी दी. उन्होंने गाय पालन शुरू करने की सलाह दी और लोन के तौर पर 22 हजार रुपये दिये. उस वक्त एक गाय खरीद कर दूध बेचने का काम शुरू किया. धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति सुधरी तो पैसे बचत कर साल 2016 में दो और गायें खरीदीं. अब किरण के पास तीन गायें हैं, जिनसे वे अपनी आजीविका कमा रही हैं.

posted by ashish jha

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