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जुलाई तक महिला आयोग का गठन

पटना : बिहार राज्य महिला आयोग बीते एक वर्ष से भंग है. पीड़िताओं के मामलों की सुनवाई हो सके, इसके लिए न तो अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य हैं. इस कारण प्रतिदिन आनेवाली दर्जनों महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है. अब हाइकोर्ट में दायर पीआइएल के बाद अब आयोग के गठन की […]

पटना : बिहार राज्य महिला आयोग बीते एक वर्ष से भंग है. पीड़िताओं के मामलों की सुनवाई हो सके, इसके लिए न तो अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य हैं. इस कारण प्रतिदिन आनेवाली दर्जनों महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है. अब हाइकोर्ट में दायर पीआइएल के बाद अब आयोग के गठन की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. जुलाई में गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.
10 जुलाई तक पूरी होगी प्रक्रिया : हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने 45 दिनों के अंदर आयोग से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस ने सरकार से आयोग गठन की प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है. ऐसे में हाइकोर्ट के निर्देश के आधार पर समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोग गठन की तैयारी शुरू कर दी गयी है. आयोग से भी भंग होने की तिथि और डिटेल की मांग की गयी है. ऐसे में 10 जुलाई तक आयोग गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.
लंबित पड़े हैं साढ़े सात हजार मामले
आयोग में बीते एक वर्ष में 770 मामले दर्ज किये गये हैं. इनमामलों में न तो प्रतिपक्षी को किसी प्रकार का नोटिस भेजा गया है और न ही उन्हें न्याय दिलाने के संबंध में कोई कार्रवाई की गयी है.
वहीं पूर्व के 6,841 मामले लंबित पड़े हैं. कुल मिला कर लगभग 7,611 मामले आयाेग में लंबित पड़े हैं. अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने अप्रैल महीने में हाइकोर्ट में यह जानकारी देते हुए पीआइएल दायर किया था कि एक आेर सरकार सात निश्चय के साथ राज्य में विकास की बात कह रही है. वहीं, दूसरी ओर महिलाओं को न्याय देनेवाला आयोग बीते एक वर्ष से भंग पड़ा है.
आयोग में काम करनेवाले कर्मचारी नियमित आ रहे हैं, पर कोर्ट में सुनवाई करने के लिए न तो आयोग में अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य. इस पर हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले में संज्ञान लेते हुए 45 दिनों के अंदर आयोग गठन की मांग की है.

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