फुलवारीशरीफ : इसलामिक जानकार और प्रसिद्ध अधिवक्ता सैयद इमरान गनी ने कहा कि रमजान का हर पल महत्व रखता है. रमजान वक्त की पाबंदी का अभ्यास कराता है.रमजान में समय पर नमाज अदा करना ,समय पर तिलावत करना,समय पर इफ्तार करना,समय पर सेहर करना, समय पर सोना, समय पर जागना ये सब इबादत हैं. इस अभ्यास को शेष ग्यारह माह में चलाना चाहिए.
उन्होंने आगे बताया कि रोजा ही एक ऐसी इबादत है, जिसमें सीधा अल्लाह ताला से इनसान का संपर्क होता है क्योंकि अगर कोई नमाज पढ़ रहा है, तो दूसरा आदमी देख रहा है. जकात दे रहा है, तो इसमें भी एक हाथ देता है, लेनेवाला दूसरा हाथ सामने रहता है. रोजे की नमाज में अल्लाह और रोजेदार के अलावा तीसरा कोई नहीं जानता है कि अल्लाह से क्या वार्ता हुई. उन्होंने कहा कि रमजान में नहीं, बल्कि हमेशा कुरानशरीफ की खूब तिलावत करनी चाहिए. नफील नमाज पढ़नी चाहिए. सारी बुराईयों से दूर रहना चाहिए. यह महीना ऐसा है जो आदमी को आदमी से मिलाते हुए ग्यारह महीनों तक लगातार नेक काम करने बुराई से बचने का अभ्यास कराता है. रमजान के महीने में वक्त की पाबंदी खुदा का नायाब तोहफा है. रमजानुल मुबारक में मुसलमानों की दिनचर्या ही बदल जाती है.
वैसे तो रोजाना पांच वक्त की नमाज पढ़ना हर मोमिन के लिए फर्ज है, लेकिन इस महीने की फजीलत ही अलग है. इस महीने में मुसलमान रोजा रख रहे हैं और पाबंदी से पांच वक्त की नमाज के अलावा तरावीह की नमाज भी अदा करते हैं. रोजा पूरे एक माह हमें अभ्यास कराता है कि साल के शेष ग्यारह माह हमें किस प्रकार गुजारना चाहिए.