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आर्ट्स टॉपर गणेश की मेरिट पर शक नहीं, कॉलेज पर उठे सवाल

मोबाइल नंबर नहीं होने से बोर्ड संपर्क नहीं कर पा रहा है टॉपर गणेश कुमार से पटना : इंटर के आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार के मेरिट पर कोई शक नहीं है. गणेश कुमार के सारे विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कई बार करवायी गयी है. सारी उत्तर पुस्तिकाओं को एक्सपर्ट की टीम से जांच […]

मोबाइल नंबर नहीं होने से बोर्ड संपर्क नहीं कर पा रहा है टॉपर गणेश कुमार से
पटना : इंटर के आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार के मेरिट पर कोई शक नहीं है. गणेश कुमार के सारे विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कई बार करवायी गयी है. सारी उत्तर पुस्तिकाओं को एक्सपर्ट की टीम से जांच करवायी गयी है. टॉपर गणेश कुमार के सामने नहीं आने पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का कहना है कि गणेश कुमार ने अपना मोबाइल नंबर बोर्ड को नहीं दिया था.
इस कारण बोर्ड गणेश कुमार से संपर्क नहीं कर पा रहा है. अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि गणेश कुमार काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इस कारण ट्यूशन देकर अपनी पढ़ाई करते थे.
कॉलेज की मान्यता की जा रही रद्द : अध्यक्ष आनंद किशोर की मानें, तो जिस कॉलेज में गणेश कुमार का नाम लिखा हुआ था, उस तरह के कॉलेज बिहार में सैकड़ों की संख्या में है. ऐसे कॉलेजों की मान्यता भी समिति खत्म कर रही है. गणेश कुमार इस कॉलेज का छात्र था. प्राइवेट कॉलेज में उसने अपना नाम लिखवाया था. लेकिन इससे गणेश कुमार की क्वालिटी पर शक नहीं किया जा सकता है. इस कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. बेसिक चीजें नहीं हैं. ऐसे कॉलेजों की मान्यता को समिति ने पहले भी रद्द किया है और आगे भी जांच करके रद्द करने की योजना बना रही है.
साइंस : फर्स्ट डिवीजन में प चंपारण सबसे आगे, वैशाली फिसड्डी
पटना : इंटर साइंस के परिणाम में बिहार में केवल 9 फीसदी छात्रों ने ही प्रथम श्रेणी हासिल किया है, लेकिन इन सबके बीच कुछ जिले ऐसे हैं, जिन्होंने इस औसत को काफी पीछे छोड़ दिया है.
पश्चिमी चंपारण इस सूची में प्रदेश में सबसे आगे है. पश्चिमी चंपारण के 22 प्रतिशत छात्र फर्स्ट डिवीजन से पास हुए हैं. दूसरे नंबर पर पटना है जहां के 20 प्रतिशत छात्रों ने प्रथम श्रेणी के अंक हासिल किये. किशनगंज के 19 प्रतिशत छात्रों ने प्रथम श्रेणी लाकर इसमें तीसरा स्थान हासिल किया है. वहीं कई जिले ऐसे हैं जो औसत प्रतिशत से भी काफी पीछे हैं. वैशाली सबसे कम फर्स्ट डिवीजन लाने वालों में पहले नंबर पर है. वहां के केवल तीन प्रतिशत छात्र ही फर्स्ट डिवीजन ला सके हैं.

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