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चिड़ियाघर में विदेशी पक्षी से फैला संक्रमण, चपेट में आया केयर टेकर
पटना में एडनेरल हिस्ट्रो प्लाजमोसिस का पहला मामला आनंद तिवारी पटना : संजय गांधी जैविक उद्यान के आस्ट्रेलिया व साउथ अफ्रिकी मूल की दो पक्षी (एमू व मकाऊ) से संक्रमण फैल रहा है. इन पक्षियों की देखभाल करनेवाला केयर टेकर इसकी चपेट में आ गया है. वह पीएमसीएच में अपनी जिंदगी और मौत से संघर्ष […]
पटना में एडनेरल हिस्ट्रो प्लाजमोसिस का पहला मामला
आनंद तिवारी
पटना : संजय गांधी जैविक उद्यान के आस्ट्रेलिया व साउथ अफ्रिकी मूल की दो पक्षी (एमू व मकाऊ) से संक्रमण फैल रहा है. इन पक्षियों की देखभाल करनेवाला केयर टेकर इसकी चपेट में आ गया है. वह पीएमसीएच में अपनी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहा है. यह संक्रमण पक्षी से ही फैला है, इसकी पुष्टि इलाज कर रहे डॉक्टरों की टीम ने की है. संक्रमण पेट में हुआ है, जिसने लिवर और किडनी को भी अपनी चपेट में ले लिया.
डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी का वैज्ञानिक नाम एडनेरल हिस्ट्रो प्लाजमोसिस है. आम बोलचाल की भाषा में डॉक्टर इसे फंगल इंफेक्शन भी बोल रहे हैं. इलाज कर रहे डॉक्टरों की मानें, तो इस तरह की बीमारी यूरोपीय व अफ्रीकी देशों में पायी जाती है, जहां इस तरह के पक्षी ज्यादा हैं.
दिल्ली एम्स ने पहले ही कर दी थी पुष्टि : पटना के
फुलवारीशरीफ निवासी देव शरण सिंह (50) बतौर केयर टेकर (एल वर्कर) के पद पर पटना जू में काम करते हैं. चार महीने पहले अचानक पेट में दर्द के बाद परिजनों ने देव शरण सिंह को पटना के कई अस्पतालों में डॉक्टरों से जांच करायी. लेकिन, बीमारी का पता नहीं चल सका. इसके बाद परिजन उन्हें दिल्ली एम्स
लेकर गये जहां सिटी स्कैन, ब्लड टेस्ट और एक मांस के टुकड़े की जांच कर उसे माइक्रोस्कोप से देखा गया, जिसमें एक कीटाणु देखा गया.
किटाणु देख वहां के डॉक्टर भी चौक गये. इस तरह के किटाणु को उन्होंने यूरोपीय देशों पाये जाने की बात कही. हालांकि, वहां इलाज के लिए डॉक्टरों ने हामी भर दी, लेकिन भरती की तारीख एक महीने बाद जून में दी गयी. मरीज की स्थिति को देखते हुए परिजनों ने उन्हें पटना के पीएमसीएच में भरती कराया है. पीएमसीएच के हथुआ वार्ड में देव शरण सिंह भरती हैं.
इनका इलाज डॉ एएस सिंह के यूनिट में चल रहा है, जिसे डॉ कुनाल व डॉ मनीष देख रहे हैं. दिल्ली एम्स की जांच रिपोर्ट देखने के बाद यहां के डॉक्टरों ने भी सिटी स्कैन, एमआरआइ, आदि जांच करायी. यहां के डॉक्टरों का अनुमान है कि चिड़िया घर में मरीज विदेशी पक्षियों के बीच काम करते हैं, उनसे ही यह बीमारी फेफड़े के माध्यम से पेट में आया है.
11 हजार रुपये की लगेगी एक वैक्सीन रोजाना
इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि एंफोटेरिसिन बी नामक वैक्सीन मरीज को रोजाना लगायी जायेगी. एक वैक्सीन की कीमत करीब 11 हजार रुपये बतायी जा रही है. 42 वैक्सीन मरीज को लगना है. करीब 42 वैक्सीन लगाने में चार लाख रुपये खर्च होंगे. डॉक्टरों ने बताया कि संक्रमण काफी फैल चुका है.
एमू और मकाऊ हैं विदेशी पक्षी
जिस विदेशी पक्षी से संक्रमण फैलने की बात हो रही वह इमू व मकाऊ दोनों में कोई एक हो सकता है. मकाऊ साउथ अफ्रीका का पक्षी है, तो एमू मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया में पाया जाना वाला संसार में दूसरा सबसे बड़ा पक्षी है. परिजनों का कहना है कि देव शरण सिंह अधिकतर समय इन दोनों पक्षियों के बीच ही रहते थे. पक्षियों को खाना देना, उनकी देखभाल आदि काम वह करते थे.
क्या कहते हैं डॉक्टर
मरीज का इलाज कर रहे पीएमसीएच हथुआ वार्ड के डॉ मनीष कुमार ने बताया कि इस तरह की बीमारी ज्यादातर यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती है. एम्स की जांच रिपोर्ट के बाद हम लोगों ने यहां भी जांच करायी, जिसमें एडनेरल हिस्ट्रो प्लाजमोसिस नाम की बीमारी पायी गयी है. चुकी मरीज चिड़िया घर में काम करता है, इसलिए उम्मीदजतायी जा रही है कि पक्षी के डस्ट, छिंकने, खांसने से निकलने वाली वायरस मरीज के फेफड़ों के माध्यम से पेट में चला गया है. जिसका इंफेकशन लिवर, किडनी आदि में भी फैल गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस तरह का केस पहली बार सुनने में आया है. अब तक किसी ने इसकी सूचना नहीं दी है. इसकी जांच करायी जायेगी और ठोस कदम उठाया जायेगा.
डॉ समरेंद्र कुमार, पशु चिकित्सा अधिकारी, संजय गांधी जैविक उद्यान
क्या कहते हैं परिजन
चार महीने पहले पेट में दर्द हुआ, तो हम पटना के कई अस्पताल में गये. लेकिन, ठीक नहीं हुआ. फिर दिल्ली एम्स गये, जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने एडनेरल हिस्ट्रो प्लाजमोसिस नाम की बीमारी बतायी. लंबी वेटिंग के चलते पीएमसीएच में मरीज को भरती कराया गया है.
जितेंद्र कुमार, मरीज का दामाद
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