पटना: राधे रमण प्रसाद की नियुक्ति बिहार शिक्षा सेवा के तहत राज्य शैक्षिक शोध और प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) में व्याख्याता पद पर हुई. वह व्याख्याता के रूप में पढ़ा तो नहीं पाये, लेकिन ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम के एक्सपर्ट जरूर बन गये.
कुछ ऐसा ही हाल राम विनय पासवान का भी है. पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास में नेट और जेआरएफ निकाल चुके राम विनय पासवान को व्याख्याता के पद पर एससीइआरटी में रखा गया था, लेकिन राम विनय पासवान भी पढ़ाने के बदले एससीइआरटी में परीक्षा आयोजित करते हैं. यह हाल एक -दो नहीं बल्कि कई व्याख्याताओं का है.
2003 में हुई थी नियुक्ति : एससीइआरटी में 2003 में बीपीएससी ने 12 व्याख्याताओं की नियुक्ति की थी. इनका काम सिलेबस और किताब सामग्री देखने से टीचर ट्रेनिंग देने तक का था,लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. टीचर्स ट्रेनिंग का काम उनसे लिया जा रहा है, जो इसके एक्सपर्ट तक नहीं हैं.
विभा रानी की नियुक्ति मनोविज्ञान विषय में लेक्चरर के रूप में हुई थी, लेकिन वह मनोविज्ञान विभाग के बदले जनसंख्या विभाग का काम कर रही हैं. राजेंद्र प्रसाद मंडल ने अनौपचारिक शिक्षा में योगदान दिया, लेकिन उन्हें मानविकी विभाग दिया गया है. वहीं सुरेंद्र कुमार को शिक्षा विभाग का लेक्चरर बनाया गया था. प्राइमरी,मिडिल व हाइस्कूल के टीचर की ट्रेनिंग देने की जवाबदेही जिन पर है, वह ट्रेनिंग नहीं दे रहे हैं. उनके बदले दूसरे विभाग के एक्सपर्ट ट्रेनिंग दे रहे हैं.