13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिजली की हकमारी का मुद्दा उठायेगा बिहार

ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन आज से पटना : बुधवार से दिल्ली में शुरू हो रहे ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में बिहार सेंट्रल पूल से लगातार हो रही बिजली कटौती का मुद्दा उठायेगा. इसके अलावा बिजली परियोजनाओं, बीआरजीएफ में बकाया तथा प्रस्तावित बिजलीघरों के निर्माण में हो रही देरी के मुद्दे को भी राज्य के ऊर्जा […]

ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन आज से
पटना : बुधवार से दिल्ली में शुरू हो रहे ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में बिहार सेंट्रल पूल से लगातार हो रही बिजली कटौती का मुद्दा उठायेगा. इसके अलावा बिजली परियोजनाओं, बीआरजीएफ में बकाया तथा प्रस्तावित बिजलीघरों के निर्माण में हो रही देरी के मुद्दे को भी राज्य के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव रखेंगे. तीन और चार मई को सम्मेलन होना है.
ऊर्जा मंत्रियों का अगला सम्मेलन नवंबर में राजगीर में प्रस्तावित है. बिहार को सेंट्रल पूल से 2942 मेगावाट बिजली आवंटित है. पूरी आवंटित बिजली बिहार को कभी नहीं मिली. औसतन 2000 से 2100 मेगावाट बिजली मिलती है. राज्य में बिजली की खपत में लगातार इजाफा हो रहा है नतीजन बिजली के लिए बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है. औसतन 1200 से 1400 मेगावाट बिजली खरीदनी होती है. केंद्र लगातार बिहार की हकमारी कर रहा है.
जीरो उत्पादन वाले राज्यों से बिहार निकल तो चुका है लेकिन अभी बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है. बिहार की तीन बड़ी बिजली परियोजना बांका अल्ट्रामेगा पावर प्लांट व कजरा व पीरपैंती में ताप बिजली घर का निर्माण अबतक शुरू नहीं हो पाया है. पीरपैंती और कजरा का एएमयू एक साल से अधिक समय से लंबित है. इस दिशा में कुछ नहीं हो पाया है. बांका में 4000 मेगावाट और कजरा तथा पीरपैंती में 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है. सिर्फ चौसा बिजलीघर का निर्माण शुरू हो पाया है.
बिहार चौसा, कजरा और पीरपैंती के लिए झारखंड के पोखरिया पहाड़पुर कोल ब्लॉक मांग रहा है. बिहार का तर्क है कि बिजलीघरों से जितना नजदीक कोयला मिलेगा तो उत्पादन खर्च कम होगा. इससे लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी. इसके अलावा बिहार ग्रामीण विद्युतीकरण के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को भी सम्मेलन में रखेगा. राज्य सरकार ने इस साल सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय कर दिया है. राज्य में 4000 मेगावाट से अधिक बिजली की मांग है.
बाजार से खरीदी गयी 1532 मेगावाट बिजली : सेंट्रल पूल से आवंटित पूरी बिजली नहीं मिलने के कारण मंगलवार को बाजार से 1532 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी. चार माह से अधिक समय के बाद कांटी बिजलीघर की यूनिट संख्या 1 में उत्पादन शुरू हुआ. 110 मेगावाट क्षमतावाली इस यूनिट से मंगलवार को 80 मेगावाट बिजली मिली. कोयला संकट के कारण 14 जनवरी से इस यूनिट में उत्पादन ठप था. हालांकि तकनीकी कारणों से यूनिट संख्या तीन 10 अप्रैल से व कोयला संकट के कारण यूनिट संख्या दो में 4 अप्रैल से उत्पादन ठप है.
ओवरवाइलिंग के लिए एनटीपीसी की फरक्का की एक यूनिट 29 मार्च से बंद है. फरक्का से बिहार को बिजली मिलती है. गरमी बढ़ने से राज्य में बिजली की खपत बढ़ गयी है. मंगलवार को सेंट्रल पूल से 2942 मेगावाट की जगह 1988 मेगावाट बिजली मिली. बाजार से 1532 मेगावाट और कांटी से मिली 80 मेगावाट बिजली की बदौलत राज्य में 3600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की गयी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें