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पौराणिक व ऐतिहासिक मूर्तियों का बनेगा डाटाबेस

पटना : राज्य में पौराणिक मूर्तियों के संरक्षण और इन्हें व्यवस्थित तरीके सेरखने के लिए आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने एक विशेष पहल शुरू की है. इसके तहत सभी जिलों और थानों के मालखाने में पड़ी ऐतिहासिक या पौराणिक मूर्तियों को खासतौर से संरक्षित कर इन्हें राज्य के संग्रहालय में रखने की पहल की जायेगी. […]

पटना : राज्य में पौराणिक मूर्तियों के संरक्षण और इन्हें व्यवस्थित तरीके सेरखने के लिए आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने एक विशेष पहल शुरू की है. इसके तहत सभी जिलों और थानों के मालखाने में पड़ी ऐतिहासिक या पौराणिक मूर्तियों को खासतौर से संरक्षित कर इन्हें राज्य के संग्रहालय में रखने की पहल की जायेगी. संग्रहालय में इन मूर्तियों को स्थान दिलाने के लिए इसकी अनुमति कोर्ट से ली जायेगी. फिलहाल इओयू के आइजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने सभी जिलों को कहा है कि वे अपने-अपने यहां के मालखाने में पड़ी सभी तरह की ऐतिहासिक या पौराणिक मूर्तियों का पूरा डाटाबेस तैयार करके मुख्यालय को जल्द से जल्द भेज दें.
जिलों को कहा गया है कि जो मूर्तियां उनके मालखाने में पड़ी हैं, उनकी लंबाई-चौड़ाई या आकार, रंग-रूप, वजन, इनकी फोटो और इनसे जुड़ी मौजूदा सभी तरह की जानकारी को एकत्र करके इसका विस्तृत ब्योरा मुख्यालय को भेजने के लिए कहा है. साथ ही सभी जिलों को यह कहा गया है कि उनके क्षेत्र के किस थाने में कितनी मूर्तियां जमा पड़ी हैं, इसका विस्तृत ब्योरा भी देने के लिए कहा है. ताकि यह पता चल सके कि किस थाना क्षेत्र में कितनी संख्या में मूर्तियां पड़ी हुई हैं.
सभी जिलों से मूर्तियों का डाटाबेस तैयार होकर आने के बाद इन्हें बिहार संग्रहालय या अन्य उपर्युक्त संग्रहालयों में संरक्षित रूप से रखने की व्यवस्था की जायेगी. थानों या जिले के मालखानों में तीन तरह से बरामद की गयी मूर्तियां भी पड़ी हुई हैं. पहली, जो किसी स्थान से खुदाई में मिली हैं और इन्हें स्थापित करने या कहीं रखने से जुड़ा किसी तरह का कोई फैसला नहीं हो सका है
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दूसरी, राज्य में इधर-उधर से लावारिस हालत में बरामद हुई मूर्तियां. तीसरी, किसी मुकदमा या चोरी के बाद बरामद की गईं मूर्तियां. इन तीन तरह की मूर्तियों का सुधी लेने की पहल की गयी है. इसके साथ ही इओयू ने सभी जिलों को यह भी कहा है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में मौजूद ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों का पूरा विवरण भी भेजे. इनमें इन मंदिरों के बारे में जानकारी के अलावा इनमें मौजूद पौराणिक मूर्तियों की भी जानकारी दें. ताकि इनका समुचित तरीके से संरक्षण किया जा सके.

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