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निखिल प्रियदर्शी मामले पर एडीजी और आइजी में खींचतान

पटना: निखिल प्रियदर्शी मामले की जांच कर रही एसआइटी खुद विवादों में उलझ गयी है. इस मामले की जांच जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे इसके जांच के दायरे में बड़े और ओहदेदार लोगों के फंसने की आशंका बढ़ती जा रही है. परंतु इस की जांच कर रही एसआइटी में ही विवाद खड़ा हो गया […]

पटना: निखिल प्रियदर्शी मामले की जांच कर रही एसआइटी खुद विवादों में उलझ गयी है. इस मामले की जांच जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे इसके जांच के दायरे में बड़े और ओहदेदार लोगों के फंसने की आशंका बढ़ती जा रही है. परंतु इस की जांच कर रही एसआइटी में ही विवाद खड़ा हो गया है.

जांच के कई पहलूओं को लेकर एडीजी (सीआइडी) बिनय कुमार और आइजी (कमजोर वर्ग) अनिल किशोर यादव के बीच विवाद खड़ा हो गया है. विवाद इतना बढ़ गया कि एडीजी ने एसआइटी का नेतृत्व कर रही डीएसपी ममता कल्याणी को जांच की रूपरेखा सही दिशा में नहीं करने और जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए हटा दिया. साथ ही एसआइटी की वर्तमान रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. डीएसपी ममता पर जांच में शिथिलता बरतने और रुख बदलने का भी आरोप लगाया गया है. एसआइटी का नेतृत्व डीएसपी हरेंद्र कुमार करेंगे. इसमें दो इंस्पेक्टर भी शामिल हैं.

पॉकसो लगाने के विवाद में डीएसपी ममता कल्याणी को हटाया
सूत्रों से प्राप्त सूचना के अनुसार, एसआइटी से डीएसपी ममता कल्याण को हटाने के एडीजी के फैसले के पूरी तरह से खिलाफ आइजी हो गये हैं. इस फैसले पर पुनर्विचार करने की बात आइजी फाइल पर लिख सकते हैं. अगर इस मामले में किसी तरह का विवाद होता है, तो इस पर अंतिम फैसला या इस मामले की पंचायती डीजीपी कर सकते हैं. यह फाइल अंत में डीजीपी के पास जायेगी, तभी यह पूरी स्थिति स्पष्ट होगी. सूत्र बताते हैं कि आइजी का मानना है कि इस मामले की जांच सही दिशा में चल रही है और डीएसपी पूरी तरह से निर्दोष हैं. कई अभियुक्तों को लाभ को लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह की स्थिति उत्पन्न की जा रही है.
डीएसपी ममता ने अभी तक इसकी सही उम्र का ही नहीं पता किया है
यह पूरा विवाद निखिल प्रियदर्शी पर पॉकसो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेसस) एक्ट लगाने को लेकर हुआ है. आइजी (कमजोर वर्ग) ने निखिल पर पॉकसो एक्ट लगाने की सिफारिश कर दी थी, क्योंकि पीड़िता की उम्र एक स्थान पर नाबालिग है. जबकि एडीजी का कहना है कि यह मामला तथ्य परक नहीं है. पीड़िता के उम्र की जांच अभी चल ही रही है. डीएसपी ममता ने अभी तक इसका सही उम्र ही नहीं पता किया है. उन्होंने संबंधित दोनों स्कूलों पटना स्थित नॉट्रेडम एकेडमी और मुजफ्फरपुर के सितौल गांव स्थित पारामाउंट एकेडमी से उम्र से जुड़ी रिपोर्ट ली ही नहीं है. इससे यह स्पष्ट ही नहीं हो पा रहा है कि लड़की नाबालिग है या नहीं. दरअसल पीड़िता लड़की के नाम पर सीबीएसइ की वेबसाइट पर मैट्रिक के दो सर्टिफिकेट अपलोड हैं. एक नॉट्रेडम एकेडमी का है, जिसमें डेट ऑफ बर्थ जनवरी 1996 है, जबकि मुजफ्फरपुर वाले स्कूल में 1998 दर्ज है. इसके अलावा इस पूरे मामले में एक इवेंट मैनेजर मृणाल किशोर का नाम सामने आया है. लेकिन मृणाल को गवाह बना दिया गया. जबकि वह भी इस मामले में अभियुक्त है. बिल्डर चांद मियां भी अभियुक्त के स्थान पर गवाह बना हुआ है.

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