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पहली बार ऐसा कॉन्फ्रेंस हुआ, जिसमें जेंडर गैप को इतना महत्व मिला : रुचिरा गुप्ता

अनुपम कुमार पटना : आद्री के सिल्वर जुबली पर आयोजित समारोह को आप कैसे देखती हैं?पटना में पहली बार ऐसा कोई काॅन्फ्रेंस हुआ है, जिसमें जेंडर गैप को इतना महत्व दिया गया है. रविवार को जेंडरिंग द रिजन नाम से इसमें एक तकनीकी सत्र का आयोजन भी किया गया था, जिसमें वेश्यायीकरण (किसी को दूसरे […]

अनुपम कुमार
पटना : आद्री के सिल्वर जुबली पर आयोजित समारोह को आप कैसे देखती हैं?पटना में पहली बार ऐसा कोई काॅन्फ्रेंस हुआ है, जिसमें जेंडर गैप को इतना महत्व दिया गया है. रविवार को जेंडरिंग द रिजन नाम से इसमें एक तकनीकी सत्र का आयोजन भी किया गया था, जिसमें वेश्यायीकरण (किसी को दूसरे की ओर से अपने फायदे के लिए भोग की वस्तु बनाया जाता है, इसलिए रूचिरा देह व्यापार को वेश्यावृत्ति के बजाय वेश्यायीकरण कहना अधिक उचित मानती हैं), बंधुआ मजदूरी, बाल विवाह, घरेलू नौकरानी-दाई की समस्या और कॉस्मेटिक उद्योग के लिए बालिकाओं के स्किन टिश्यू का अवैध अंग व्यापार जैसे मुद्दों पर अनेक महत्वपूर्ण शोध पत्र पढ़े गये और विस्तृत चर्चा की गयी. ऐसा इसलिए संभव हो सका, क्योंकि नीतीश सरकार महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति बहुत संवेदनशील है.
वर्तमान सरकार की नीतियां महिलाओं की दशा में सुधार लाने में किस हद तक सफल रही हैं?
साइकिल-पोशाक वितरण के कारण बालिकाओं में शिक्षा का स्तर तेजी से बढ़ा है. जीविका के जरिये औरतों को रोजगार मिल रहा है. पंचायती राज में आरक्षण के माध्यम से सत्ता में औरतों की भागीदारी बढ़ी है. इससे उनकी हैसियत में तेजी से बदलाव आ रहा है. ज्यादातर पुरुष काम के सिलसिले में बाहर चले गये हैं, इसलिए कई जगह महिलाओं ने किसानी का मोरचा भी संभाल लिया है और कृषि का स्त्रीकरण हो गया है.
इतने सकारात्मक प्रयासों के बावजूद महिलाओं के प्रति हिंसा में कमी क्यों नहीं आ रही है?
जवाब : कानूनी प्रतिषेध से घरेलू हिंसा में कमी आयी है, लेकिन यह सही है कि यौन हिंसा में कमी नहीं आयी है. यह केवल बिहार से जुड़ा हुआ मामला नहीं हैं, बल्कि पूरे देश में ऐसी घटनाएं बढ़ी है. बिहार के साथ दुखद बात यह है कि यहां ऐसे मामलों में पुलिस का रवैयासहयाेगात्मक है. वह इस संबंध में शिकायत पर खास कर छोटी जाति की महिलाओं के शिकायत पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती है. नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 में प्रदेश में 3,000 से ज्यादा महिलाएं गायब हो गयी और बाद में इनमें 100 से भी कम वापस आयी हैं. ज्यादातर मामलों में उनके देह का व्यापार हुआ है.
कैन प्रोवाइडिंग इनफॉर्मेशन रेडयूश लीकेज इन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए शिकागो स्थित इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के फॉर्मर कंट्री इकोनॉमिस्ट चिन्मया कुमार ने कहा कि 2000 के दशक में पीडीएस की स्थिति बहुत खराब थी.राष्ट्रीय फूड सिक्यूरिटी एक्ट के 2013 में पारित होने के बाद से इसमें सुधार हुआ है. हालांकि अब भी 20 फीसदी जरुरतमंद परिवार बाहर हैं.
इनविजिवल इन डेमेक्रेसी मोस्ट मार्जिनलाइज्ड दलित कम्युनिटीज इन उत्तर प्रदेश विषय पर शोध पत्र पढ़ते हुए गोविंद वल्लभ पंत सोशल साइंस इस्टीच्यूट, इलाहाबाद के प्रो बद्री नारायण ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 65 दलित जातियां हैं, लेकिन लोग चार-पांच को ही जानते हैं. कई कारक हैं जो जातियों की पहचान बनाने में मदद करते हैं. समुदाय में अपना नेता पैदा करने की क्षमता होनी चाहिए.
कम्युनलाइजेशन एंड क्राइम रिफ्लेक्शन्स आॅन रिसेंट कम्युनल वायलेंस इन बिहार में अलीगढ़ मुस्लिम विवि के एसोसिएट प्रो मो. सज्जाद ने हिंदू मुस्लिम दंगों में अपराधियों की संलिप्तता और निहित स्वार्थ की विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि यदि इस पर सख्ती से रोक नहीं लगाया जाता तो परिणति कई बार बेवजह के संप्रदायिक तनाव व संघर्षों में होती है.
ब्लोन फ्रॉम कैनन: द प्रील्यूड टू बक्सर , 1764 पर व्याख्यान देते हुए मिडिलटाउन के वेस्लेयन विवि के प्रो. विलियम पिंच ने कहा कि मॉडर्न ब्रिटिश सेना का अभ्युदय रातों रात नहीं हुआ बल्कि धीरे-धीरे आधुनिक रूप ग्रहण किया. इस संदर्भ में कई तरह के प्रयोग हुए और घटनाओं से सीख ली गयी.

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