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चार अस्पतालों में जरूरत की दवाएं खत्म, परेशानी
रोगी कल्याण समिति देती है पैसा अस्पतालों का बजट रुक जाने से खरीदारी हुई बंद पटना : शहर के छोटे सरकारी अस्पतालों में दवाओं की भारी किल्लत हो गयी है. यहां तक कि जरूरत की दवाएं भी नहीं मिल रहीं. नतीजा मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह हाल शहर के […]
रोगी कल्याण समिति देती है पैसा
अस्पतालों का बजट रुक जाने से खरीदारी हुई बंद
पटना : शहर के छोटे सरकारी अस्पतालों में दवाओं की भारी किल्लत हो गयी है. यहां तक कि जरूरत की दवाएं भी नहीं मिल रहीं. नतीजा मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह हाल शहर के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, राजवंशी नगर अस्पताल, राजेंद्र नगर नेत्र अस्पताल और पटना सिटी स्थित गुरु गोविंद सिंह अस्पताल का है. अस्पताल के प्रभारियों का कहना है कि अस्पताल फंड का पैसा रुक जाने के कारण दवाएं नहीं खरीदी जा रही हैं.
पांच सालों से नहीं मिल रहा फंड : इन चारों सरकारी अस्पतालों काे पिछले पांच सालों से फंड नहीं मिल रहा है.यह फंड स्वास्थ्य विभाग के जरिये रोगी कल्याण समिति अस्पतालों को देती है. हर माह एक लाख रुपये देने का प्रावधान है. इस पैसे से अस्पताल अधीक्षक मरीजों के हित में दवा, उपकरण, बेड शीट आदि की खरीदारी करते हैं.
इसलिए समिति ने नहीं दिया फंड : 2011 के बाद इन अस्पतालों को अनुमंडलीय व सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का दर्जा मिल गया.
अनुमंडलीय अस्पताल को एक लाख की जगह पांच लाख रुपये हर माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिये जाते हैं. यही वजह है कि रोगी कल्याण समिति ने एक लाख रुपये का फंड भी रोक दिया. अस्पताल प्रशासन इस मामले को कई बार स्वास्थ्य विभाग और रोगी कल्याण समिति की बैठक में उठा चुका है. इसके बावजूद न एक लाख रुपये का फंड मिल रहा और न ही पांच लाख रुपये का ही फंड देने का आदेश हुआ है.
क्या कहते हैं अधिकारी
राजवंशी नगर हड्डी अस्पताल के निदेशक डॉ एचएन दिवाकर ने बताया कि जब से अनुमंडलीय अस्पताल बना है, तब से अस्पतालों को बजट मिलना बंद हो गया है. जबकि, नियमानुसार मरीजों की सुविधा को देखते हुए हर माह एक लाख रुपये मिलना चाहिए. अस्पताल सिर्फ मरीजों के रजिस्ट्रेशन से मिलने वाले पैसे से ही अपना काम कर रहा है. यही वजह है कि दवा व सामान की खरीदारी में परेशानी हो रही है. शहर के चारों सुपर स्पेशयलिस्ट अस्पतालों की यही स्थिति है.
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