पहल . संक्रामक बीमारियों पर होगा अनुसंधान और उपचार
Advertisement
अब मरीजों को पंचक्रम की सुविधा मिलेगी
पहल . संक्रामक बीमारियों पर होगा अनुसंधान और उपचार हाल : क्षेत्रीय आयुर्वेदिक संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान अगमकुआं का पटना सिटी : आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के तहत जड़ी- बूटी से बनी दवाओं का इस्तेमाल कर संक्रामक बीमारियों को भी ठीक किया जायेगा. केंद्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसंधान परिषद ने इसके लिए अगमकुआं स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक […]
हाल : क्षेत्रीय आयुर्वेदिक संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान अगमकुआं का
पटना सिटी : आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के तहत जड़ी- बूटी से बनी दवाओं का इस्तेमाल कर संक्रामक बीमारियों को भी ठीक किया जायेगा. केंद्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसंधान परिषद ने इसके लिए अगमकुआं स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान को विकसित करने का निर्णय लिया है.
चिकित्सक डॉ डॉ केके सिंह ने बताया कि संस्थान में फाइलेरिया, मलेरिया, पेचिस, पेट की बीमारी व इंनफ्यूलजा पर अनुसंधान और मरीजों का उपचार होगा. इसके लिए संस्थान को प्रभारी डाॅ एसके तिवारी के नेतृत्व में विकसित करना है. इसके लिए सबसे अहम है संस्थान का अपना भवन व जमीन का होना. राज्य सरकार से लगातार पांच एकड़ जमीन संस्थान को उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य चल रहा है.
अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा अनुसंधान इकाई के परिसर में संचालित संस्थान में बंद पड़ी पंचक्रम की विधि आरंभ होगी. इस दिशा में कार्य चल रहा है. चिकित्सक डॉ केके सिंह ने बताया कि केरल से पंचक्रम विशेषज्ञ डॉ कृष्णा राव व अहमदाबाद से डॉ सुभाष चौधरी ने योगदान दिया है, जबकि संस्थान के प्रभारी एसके तिवारी ईटानगर से आये हैं.
संस्थान में उपलब्ध संसाधन व स्थान में पंचक्रम की क्रिया करायी जायेगी. इसके लिए कार्य चल रहा है. 25 बेडोंवाले संस्थान में मरीजों को भरती नहीं किया जाता क्योंकि संस्थान का अपना भवन व जमीन नहीं है. इस परिस्थिति में अब संस्थान को संक्रामक बीमारियों पर अनुसंधान व उपचार की व्यवस्था करनी है, तो बीमारी की चपेट में आये मरीजों को भरती कर उपचार किया जायेगा. ऐसे में बेड की आवश्यकता होगी. साथ ही औषधीय पौधाें के लिए गार्डन की आवश्यकता होगी. इसके लिए पांच एकड़ जमीन चाहिए.
बंद हो गया नेत्र विभाग: संस्थान में आउटडोर में आनेवाले ज्यादातर मरीजों को औषधि विभाग की सुविधा दी जाती है, जबकि नेत्र विभाग विशेषज्ञ आलोक श्रीवास्तव का तबादला लखनऊ कर दिया गया. ऐसे में मरीजों को नेत्र जांच की मिल रही सुविधा अब बंद हो गयी है. चिकित्सक केके सिंह व मनोज पांडे ने बताया कि लखनऊ के केंद्र को नेत्र के तौर पर विकसित किया गया है. इस वजह से उनका तबादला हुआ है. चिकित्सकों के अनुसार देश भर में 32 आयुर्वेद संस्थान हैं, जो संचालित हो रहे हैं. चिकित्सकों ने बताया कि औषधि से जुड़े बीमारियों का उपचार बाहरी मरीजों का हो रहा है.
प्रकाश पर्व के बाद गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल फिर बीमार हो गया
पटना सिटी. श्री गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल की प्रकाश पर्व के समय सुधरी सेहत फिर बिगड़ गयी. अस्पताल में नेत्र, दंत व इएनटी विभाग चिकित्सक नहीं रहने की स्थिति में बंद पड़ गया है. इस कारण यहां आनेवाले मरीजों को अब परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है़ लोगों का कहना है कि सरकार जब ध्यान देती है, तो स्थिति सुधर जाती है़ हालांकि, अस्पताल की सेहत सुधरे, इसके लिए रविवार को राजनीतिक दलों व संगठनों की बैठक मानस पथ में हुई. अध्यक्षता पार्षद बलराम चौधरी ने की. संचालन मो जावेद ने किया.
बैठक में अस्पताल की सेहत में सुधार के लिए संघर्ष करने को श्री गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल सुधार समिति की 16 सदस्यीय कमेटी गठित की गयी. बैठक में सरदार त्रिलोक सिंह निषाद, मदन लाल आर्य, पार्षद धर्मेंद्र प्रसाद मुन्ना , महमूद कुरैशी, रामचंद्र प्रसाद पंकज, वाल्मीकि प्रसाद, सरदार शेर सिंह, राजेश मेहता व बबलू जायसवाल समेत अन्य थे. कमेटी शीघ्र ही स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मिल कर अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा, पैथोलॉजी जांच, जेनरेटिक दवा, एंबुलेंस व रात्रि दवा की व्यवस्था समेत बंद पड़े विभागों को चालू करने की मांग उठायेगी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement