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वेतनमान कमेटी को मिलेे 200 से अधिक आवेदन
इन आवेदनों पर 1 या 2 फरवरी से सुनवाई शुरू होने की संभावना 60 से कम दिनों में 200 से अधिक आवेदनों पर सुनवाई बेहद मुश्किल, बढ़ेगी वेतनमान लागू करने की समयसीमा पटना : राज्यकर्मियों को सातवां वेतनमान देने के लिए गठित वेतन कमेटी के पास शिकायतों और सुझावों का अंबार लगने लगा है. अब […]
इन आवेदनों पर 1 या 2 फरवरी से सुनवाई शुरू होने की संभावना
60 से कम दिनों में 200 से अधिक आवेदनों पर सुनवाई बेहद मुश्किल, बढ़ेगी वेतनमान लागू करने की समयसीमा
पटना : राज्यकर्मियों को सातवां वेतनमान देने के लिए गठित वेतन कमेटी के पास शिकायतों और सुझावों का अंबार लगने लगा है. अब तक 200 से ज्यादा आवेदन कमेटी को मिल चुके हैं. इनके आने का सिलसिला फिलहाल जारी है. अधिकतर शिकायतें वेतनमान के पुनर्रीक्षण या पद कोटी के संशोधन के संबंध में हैं.
नियोजित शिक्षकों और विभिन्न स्तर के कर्मचारी संगठनों ने भी अपनी शिकायतों, मांगें और सुझाव दिये हैं. इन आवेदनों पर एक या दो फरवरी से सुनवाई शुरू होने की संभावना है. इससे पहले इस महीने के अंत तक इस कमेटी के अध्यक्ष जीएस कंग बिहार आनेवाले हैं. इसके बाद सचिवालय स्थित इसके कार्यालय में ही सभी आवेदनों की क्रमवार सुनवाई शुरू की जायेगी. सभी स्तर के कर्मियों की शिकायतों और सुझावों का अंबार लगने के कारण सुनवाई में दो महीने से ज्यादा समय लगने की संभावना है. इस वजह से अप्रैल 2017 में सातवां वेतनमान लागू होने की संभावना काफी कम है. 60 से कम दिनों में 200 से ज्यादा मामलों पर सुनवाई करना संभव नहीं है. इसी दौरान होली समेत त्योहारों की छुट्टियां भी पड़ रही हैं, जिस दौरान सरकारी छुट्टी रहेगी. फरवरी और मार्च में विधानमंडल का सत्र भी चलेगा. इन कारणों से सुनवाई के लंबे समय तक चलने की संभावना है. इसका सीधा असर वेतनमान लागू करने की समयसीमा पर पड़ेगा. इसमें तीन-चार महीने की देरी हो सकती है.
सुझाव और शिकायत से संबंधित आवेदन देनेवालों में करीब सभी स्तर के कर्मचारी संगठनों के अलावा कई कर्मचारी भी हैं. कई कर्मचारियों ने निजी स्तर पर भी अपनी समस्या को कमेटी के पास रखी है. इसमें पिछले वेतनमान लागू होने के दौरान उनकी वेतन वृद्धि या पे-स्केल या पद श्रेणी या रैंक में विसंगति से जुड़े मामले सबसे ज्यादा हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस बार सातवें वेतनमान की अनुशंसा को लागू करने में मौजूदा 19 तरह के वेतनमान (पे-स्केल) की रूपरेखा बरकरार रखी है. इसमें किसी तरह की कमी या बढ़ोतरी नहीं करने के कारण इस बार वेतनमान से संबंधित समस्या नहीं होने की संभावना नहीं है.
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