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राज्य के 17 जिलों में हाथियों की होगी सुरक्षा
हाथियों की सुरक्षा पर वन पर्यावरण विभाग करेगा 32.16 लाख खर्च पटना : वन विभाग बिहार में लुप्त होते जा रहे हाथियों को तो बचायेगा ही, जो अस्तित्व में हैं, उनका सुरक्षा भी करेगा. हाथियों की सुरक्षा पर वन पर्यावरण विभाग 32.16 लाख रुपये खर्च करेगा. हाथियों की सुरक्षा के लिए वन पर्यावरणविभाग 17 जिलों […]
हाथियों की सुरक्षा पर वन पर्यावरण विभाग करेगा 32.16 लाख खर्च
पटना : वन विभाग बिहार में लुप्त होते जा रहे हाथियों को तो बचायेगा ही, जो अस्तित्व में हैं, उनका सुरक्षा भी करेगा. हाथियों की सुरक्षा पर वन पर्यावरण विभाग 32.16 लाख रुपये खर्च करेगा. हाथियों की सुरक्षा के लिए वन पर्यावरणविभाग 17 जिलों के 10-10 वनकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देगा. उन्हें उत्पाती हाथियों को नियंत्रित करने का भी विशेष प्रशिक्षण मिलेगा.
उत्पाती हाथियों को नियंत्रित करने के लिए वनकर्मियों को ट्रैक्यूनाइज गन और ड्रग्स गोलियां मुहैया करायी जायेगी. बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद सूबे में हाथियों की संख्या अंगुलियों पर गिनने लायक रह गयी है. बिहार-झारखंड जब एक था, तब यहां 600 से अधिक हाथी थे. तब हाथियों की खरीद-बिक्री पर रोक भी नहीं लगी थी. तब एशिया के सबसे बड़े पशु मेला सोनपुर मेला में बड़े पैमाने पर हाथियों की खरीद-बिक्री होती थी. बड़ी संख्या में तब के दक्षिण बिहार के जिलों में लोग हाथी पालन भी करते थे, किंतु हाथियों की सुरक्षा के सवाल पर खरीद-बिक्री पर लगी रोक से यह चैप्टर क्लोज हो गया है.
ले-देकर वन विभाग के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जैसे वन्य प्राणी आश्रणियों में ही हाथी रह गये हैं. बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद सूबे मे 90 प्रतिशत हाथियों की संख्या घटी है. वन-पर्यावरण विभाग के ताजा सर्वें के अनुसार बिहार में 61 ही हाथी रह गये हैं. हाथियों की निरंतर घटती संख्या पर वन विभाग ने चिंता जतायी है. विभाग ने सूबे में हाथियों की संख्या बढ़ाने और उनकी सुरक्षा के लिए अब महत्ती योजना पर काम करना शुरू किया है.
बिहार के जमुई, बांका और पूर्णिया के जंगलों में ही कुछ हाथी रह गये हैं. जमुई और बांका के जंगलों से भटके हाथियों ने हाल ही में उत्पात मचाया था.उत्पाती हाथियों को नियत्रित करने में वनकर्मियों को तीन दिन लग गये थे. अब ऐसी नौबत दोबारा न आये, इसके लिए विभाग ने वनकर्मियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है.
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