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बनेगी कमेटी, सात अंगों का होगा प्रत्यारोपण
आइजीआइएमएस : एक ब्रेन डेड वाले मरीज का गुरदा, त्वचा, जिगर, आंख, दिल, हड्डी और फेफड़े रखा जायेंगे सुरक्षित आनंद ितवारी पटना : आइजीआइएमएस में अब दिल्ली, मुंबई, यूपी, तमिलनाडु, गुजरात आदि के तर्ज पर अंग जमा कर उस अंग के जरूरत मंद मरीजों के ट्रांसप्लांट की सुविधा हो जायेगी. अगले दो से तीन माह […]
आइजीआइएमएस : एक ब्रेन डेड वाले मरीज का गुरदा, त्वचा, जिगर, आंख, दिल, हड्डी और फेफड़े रखा जायेंगे सुरक्षित
आनंद ितवारी
पटना : आइजीआइएमएस में अब दिल्ली, मुंबई, यूपी, तमिलनाडु, गुजरात आदि के तर्ज पर अंग जमा कर उस अंग के जरूरत मंद मरीजों के ट्रांसप्लांट की सुविधा हो जायेगी. अगले दो से तीन माह में अस्पताल प्रशासन इसे शुरू कर देगा. संभावना है कि इसमें ब्रेन डेड वाले व्यक्ति के शरीर से सात तरह के अंगों को निकाल कर दूसरे रोगियों में प्रत्यारोपित किया जाता है. अभी आइजीआइएमएस में सिर्फ जिंदा व्यक्ति का ही किडनी और आंख निकाल कर उसे ट्रांसप्लांट किया जाता है.
क्या है ब्रेन डेड, कितने अंग होंगे जमा : ब्रेन डेड व्यक्ति वह होते हैं, जिनके दिमाग की ब्रेन स्टेम कोशिकाएं मृत हो चुकी होती हैं. ऐसा तब होता है, जब दिमाग को चार सेकेंड से अधिक समय तक ऑक्सीजन नहीं मिलता. इस दौरान शरीर के दूसरे अंगों की ठीक रखने के लिए वेंटिलेटर पर रखा जाता है. इसमें डॉक्टरों का पैनल मरीज का परीक्षण करता है. ऐसे में मरीज की मौत के बाद उसके अंदर के पांच अंगों को लिया जाता है.
इसमें दो किडनी, एक हृदय, एक लीवर, दो आंखें, एक पैनक्रियाज व हड्डी जमा होती है. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि बिहार में हर साल करीब 100 मरीजों को गुरदा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है. जबकि, करीब 50 हजार मरीज या तो डायलिसिस या इससे जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं. आइजीआइएमएस में दो ब्रेन डेड के मामले रोजाना आ रहे हैं. ऐसे में इनके अंगदान से काफी राहत मिलेगी. अंगदान को सुरक्षित रखे जाने के लिए ल्यूकोसाइट एंटीजन लैब का इस्तेमाल होगा.
अंगों की कमी होगी दूर
एनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के डॉ महेश प्रसाद कहते हैं कि ट्रांसप्लांट सेंटर बढ़ना चाहिए. बिहार में केवल आइजीआइएमएस है, जहां किडनी और आंख का ट्रांसप्लांट हो रहा है. प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत होती है, उसका 50 प्रतिशत लोग ही अंगदान करें, तो कमी नहीं रहेगी. इसके लिए जागरूकता लाने की जरूरत है.
अंग प्रत्यारोपण कानून 1994 के तहत परिजनों की अनुमति के बाद मरीज का अंग प्रत्यारोपण किया जा सकता है. डोनर पत्नी, पिता, माता, भाई या बहन हो सकती है.
नये कानून के तहत दादा, दादी, सास भी डोनेशन कर सकते हैं.
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