दरअसल निगरानी की ओर से यह आरोप लगाया गया था कि ट्रस्ट के शासकीय निकाय व प्रबंध समिति के सदस्य होते हुए विशुन राय कॉलेज कीरतपुर के छात्रों को वर्ष 2016 की इंटरमीडिएट परीक्षा में गलत तरीके से टॉप कराने में सहयोग किया. अदालत ने उभय पक्ष को सुनने के पश्चात यह पाया कि निगरानी ने ऐसा कोई भी साक्ष्य स्पष्ट रूप से प्रस्तुत नहीं कर पाया, जिससे यह साबित नहीं होता है कि इन सदस्यों की ओर से गलत तरीके से छात्रों को टॉप कराने में सहयोग किया हो.
गौतरतलब है कि बिहार इंटरमीडिए की परीक्षा 2016 उपरोक्त कॉलेज के ही सायंस और आर्ट्स के छात्र को फर्जी तरीके से टाॅप कराया गया था. उक्त परीक्षाफल के प्रकाशित होने के बाद बड़े पैमाने पर की गयी धांधली के उजागर होने पर तत्कालीन शिक्षा विभाग, पटना के निदेशक राजीव प्रसाद सिंह रंजन की शिकायत पर 6 जून को कांड संख्या 270/16 तहत मामला दर्ज किया गया था. जिसे बाद में जांच के लिए निगरानी विभाग को सौंप दिया गया था. उक्त मामले में बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद समेत दर्जनों लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.