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सत्ता हाथ में नहीं रहती, तो गाल बजाने लगती है भाजपा
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि झारखंड सरकार ने धान खरीद में मात्र 150 रुपये का बोनस दिया तो भाजपा उसका ढोल बजा रही है. भाजपा नेताओं की आदत है कि जब सत्ता हाथ में नहीं रहती है तो ये गाल बजाने लगते हैं. साल 2016-17 […]
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि झारखंड सरकार ने धान खरीद में मात्र 150 रुपये का बोनस दिया तो भाजपा उसका ढोल बजा रही है. भाजपा नेताओं की आदत है कि जब सत्ता हाथ में नहीं रहती है तो ये गाल बजाने लगते हैं.
साल 2016-17 में धान खरीद नीति में बदलाव किया गया है. इस बार 17 फीसदी से अधिक नमी वाले धान की भी खरीद होगी, जो पहले नहीं होती थी. इसके लिए मापदंड तय हुए है. निर्धारित मात्रा से अधिक नमी वाले धान के लिए एक से पांच किलो अधिक धान देना होगा. जितना धान पैक्स व्यापार मंडल केंद्र पर आयेगा, सभी की खरीद होगी. कहीं किसी पैक्स में वैधानिक कारण से धान खरीद नहीं हो रही है, वहां उसके बगल के पैक्स या व्यापार मंडल पर किसान धानबेच सकेंगे. एसएफसी या अन्य किसी एजेंसी का धान खरीद केंद्र नहीं होगा. पैक्स को नमी मापक यंत्र और नमी वाले धान को सुखाने के लिए ड्रायर मशीन खरीदने को कहा गया है.
मॉनीटरिंग के लिए डीएम की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बना है. रोज मोबाइल वेबसाइट पर सूचना मिलेगी कि किस किसान से कितनी धान खरीदी गयी और कितना भुगतान किया गया. संजय सिंह ने कहा कि इस साल 1470 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को कीमत मिलेगी. पिछले साल 1410 रुपए मिली थी. सरकार धान खरीद के लिए 700 करोड़ की अतिरक्ति राशि सहकारी बैंकों के जरिए मुहैया करायेगी. इसबार किसानों से 150 क्विंटल तक धान की खरीद की जायेगी. इसके अलावा इस बार धान खरीद को लेकर कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है. यानी सभी किसनों से धान लिया जायेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धान खरीद की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने का आदेश दिया है.
बिहार में धान की खरीद 15 नवंबर से शुरू हो चुकी है. पैक्स, व्यापार मंडल या राज्य खाद्य निगम के क्रय केन्द्रों में जितना धान आयेगा उसकी खरीदारी होगी. धान खरीदने का मुख्य उद्देश्य है कि राज्य के सभी किसानों को बिना किसी कठिनाई के न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ सीधे मिल सके. उन्हें अपनी उपज की आपात बिक्री की स्थिति का सामना नहीं करना पड़े.
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