पटना: लोक सेवा का अधिकार कानून (आटीपीएस) के तहत निर्धारित समय पर सेवा नहीं मिलने पर अपील का प्रावधान किया गया है. इसके लिए बकायदा प्रथम व द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी भी बनाये गये हैं. मगर, कानून लागू होने के पौने दो साल बाद भी आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव साफ दिखता है. पिछले 21 महीने के दौरान महज 228 आवेदकों ने अपील दायर की. इनमें 225 आवेदकों को प्रथम अपील में ही सेवा उपलब्ध करा दी गयी, जबकि तीन को द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी के समक्ष आवेदन करना पड़ा.
समय पर सेवा नहीं देने पर जुर्माना की सजा ङोलनेवाले दो पदाधिकारियों ने भी डीएम के समक्ष अपील की, जिनमें से एक में राहत मिली, जबकि दूसरे में जुर्माने की सजा को बरकरार रखा गया. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, बीती अवधि में आरटीपीएस के तहत सभी सेवाओं को मिला कर करीब 20 लाख आवेदन मिले, जिनमें अब तक लगभग 19 लाख आवेदनों का निबटारा कर लिया गया है. करीब एक लाख आवेदन पर शीघ्र ही सेवाएं उपलब्ध करायी जानी हैं. समयसीमा के काफी दिन बाद भी प्रमाणपत्र नहीं लेने पर लगभग 1500 आवेदन रद्द घोषित किये गये.
छह से जुर्माना वसूल
प्रथम अपील में एसडीओ-डीसीएलआर के पास भी निष्पादन नहीं होने की स्थिति में पांच मामले पुनर्विलोकन में डीएम के समक्ष भी पहुंचे. इनमें फुलवारी (नवादा) के अभियंता एके सिन्हा का आवासीय, नेऊरा (मसौढ़ी) के बैद्यनाथ प्रसाद सिंह का जाति-आवासीय और फुलवारी (कुरकुरी) की इंद्राणी सिन्हा का दाखिल-खारिज से संबंधित मामला रहा.
दो अन्य मामलों में पालीगंज की बीडीओ शारदा कुमारी ने एक लाख का जुर्माना हटाने, जबकि मसौढ़ी के सीओ ने पांच हजार रुपये का जुर्माना हटाने की अपील की. इनमें से पहले मामले में जुर्माना माफ हो गया, जबकि दूसरे मामले में जुर्माना की राशि अदा करनी पड़ी. पौने दो साल के लंबे अंतराल के दौरान अंचल कार्यालय के सात अधिकारियों पर जुर्माना लगा गया, जिनमें से छह से जुर्माना वसूला गया.