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सूबे के 3000 मठ-मंदिरों में बनेगी नयी कमेटी
पटना : बिहार के 3000 मठ मंदिरों में नयी कमेटियों का गठन किया जायेगा. वैसे सभी मठ मंदिर जहां पर कमेटियों का कार्यकाल पूरा हो गया है वहां पर नयी कमेटी गठित की जायेगी. इसके दायरे में वे भी मंदिर हैं, जिनकी समितियों का कार्यकाल इसी वर्ष खत्म हो रहा है. सभी रजिस्टर्ड मंदिरों को […]
पटना : बिहार के 3000 मठ मंदिरों में नयी कमेटियों का गठन किया जायेगा. वैसे सभी मठ मंदिर जहां पर कमेटियों का कार्यकाल पूरा हो गया है वहां पर नयी कमेटी गठित की जायेगी. इसके दायरे में वे भी मंदिर हैं, जिनकी समितियों का कार्यकाल इसी वर्ष खत्म हो रहा है.
सभी रजिस्टर्ड मंदिरों को नयी कमेटी बनाकर इसकी जानकारी बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को देनी होगी और इसके बाद कमेटी का अनुमाेदन पर्षद करेगा. इसके बाद समितियां मंदिरों के विकास पर फोकस कर सकेगी. हरेक कमेटी में विभिन्न वर्गों और समुदायों की भागीदारी होगी और वे पांच साल के लिए काम करेंगे. सूबे में लगभग दस हजार मंदिर न्यास पर्षद से निबंधित हैं. इनमें करीब तीन हजार मंदिरों में नयी कमेटी का गठन किया जाना है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने इसके लिए सभी मंदिरों के महंथों, कार्यकाल पूरा कर चुकी कमेटी के पदाधिकारियों के साथ ही सभी जिलों के डीएम को पत्र भेजा है. सभी डीएम को कहा गया है कि वे अपने एसडीओ की मदद से उन मंदिरों की कमेटियों का पुनर्गठन कराएं. सभी एसडीओ को कमेटी गठन की जिम्मेवारी दी गयी है. जो भी मंदिर निबंधित हैं उनमें कमेटी के अलावे महंथ, पुरोहित, सेवायत आदि काम देखते हैं. कमेटी के गठन में इसका भी ध्यान रखा जायेगा.
कम से कम पांच और अधिकतम 11 की कमेटी
सभी मंदिरों को कम से कम पांच और अधिक से अधिक 11 सदस्यों की कमेटी बनानी है. इस कमेटी में एक अध्यक्ष, एक सचिव और एक कोषाध्यक्ष तो अनिवार्य होंगे ही. इसके अलावा कार्यकारिणी के सदस्यों में दो से लेकर आठ लोग शामिल हो सकेंगे. स्थानीय स्तर पर आमसभा के माध्यम से चुनाव कराया जायेगा और कमेटी का निर्माण करने के बाद इसका प्रस्ताव बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को देना जरूरी है. पर्षद जब इस पर मुहर लगायेगी तब कमेटियां मंदिरों के रखरखाव से लेकर विकास का काम देखेंगी.
मठों में नयी कमेटी के निर्माण का करेंगे विरोध
भारत साधु समाज इस बात का विरोध कर रहा है कि मठ में कमेटी बनायी जाये. समाज के संस्थापक सह राष्ट्रीय महामंत्री धर्माचार्य स्वामी हरिनारायणानंद कहते हैं कि जहां साधु संत रहते हैं, वही मठ है. जहां मठाधीश हैं, वहां पर साधु संप्रदाय का पालन होता है. बताया कि मठ का संरक्षण करने के बजाए मठों में कमेटी बनाने की बात होती है. जबकि मठ और मंदिर दोनों दो चीजें है. मंदिर कोई भी व्यक्ति स्थापित कर सकता है. शास्त्रों के मुताबिक मठ की परिभाषा यह है कि जहां पर शास्त्र की चर्चा हो.
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